Yashi Upadhyay   (यशी उपाध्याय✍️)
85 Followers · 49 Following

read more
Joined 9 November 2017


read more
Joined 9 November 2017
31 AUG 2021 AT 18:53

लिपट कर आखरी बार तुझसे जिस लिबास में रोइ थी....

उसी लिबास को पहन कर आज फिर मैं तेरी खुशबुओं में ख़ोई थी...

-


25 AUG 2021 AT 19:10

ये दिल एक बार फिर तेरी मदहोशियो में खो रहा है...
तुझसे मिलने को बेकाबू हो रहा है.....
ऐसा लगता है मेरी जान तुझसे दुबारा इश्क़ हो रहा है❤️

-


20 AUG 2021 AT 2:51

मौत तो जिस्मो की होती है रूह अभी जिंदा है...

देख ऊपरवाला भी तुझे मुझसे छीनकर आज कितना शर्मिंदा है!!!

-


18 AUG 2021 AT 19:43

अब जब हम टकराएंगे!!!
एक बार फिर पुराने ज़ख्म ताज़ा होंगे...एक बार फिर दिल जलेगा...एक बार फिर दोनों बिखर जाएंगे...बस तुम अपने आप को संभाल लेना वरना एक बार फिर हम दोनों टूट जाएंगे!!

-


13 AUG 2021 AT 2:08

नशा कुछ इस कदर तेरी मोहब्बत का छाया है...
मदहोश होकर भी लफ़्ज़ों पर नाम तेरा ही आया है....
हर वक़्त मेरे साथ चलता तेरा साया है.....
दुनियावालो से लड़ कर तूने मुझे अपना बनाया है...
और मैने अपना सबकुछ गवाकर सिर्फ तुझे ही तो पाया है!!

-


10 AUG 2021 AT 13:15

बांहो में अपनी अब वो किसी ओर को सुलाता है....
मेरे हिस्से का प्यार अब वो किसी ओर पर जताता है....
अपना कीमती वक़्त अब वो किसी ओर पर लुटाता है....
कुछ बातों से रूठ जाने पर अब वो किसी ओर को मनाता है....
बचकानी हरकतों से अपनी अब वो किसी ओर को सताता है....
नाम से मेरे अब वो किसी ओर को बुलाता है...
लेकिन फिर भी खुश नही हूँ मै,
ऐसा न जाने क्यूँ वो मुझे बताता है!!!!

-


7 AUG 2021 AT 0:33

सुन-ऐ-जिंदगी
बिखरे तुड़को को संवारने लौट आई हूं मैं..
एक बार फिर तुझको संवारने लौट आई हूं मैं...
अब जरा सोच समझ कर ठोकर देना
क्योंकि अपना एक बहुत कीमती हिस्सा और सबसे खुबसूरत किस्सा पीछे कही छोड़ आईं हूँ मैं...

-


4 AUG 2021 AT 14:39

जिंदगी बहुत हैरान कर देती है तू...
काफी हद तक परेशान कर देती है तू....
यूँ तो सब जानते है!बहुत उलझी हुई सी है तू....
लेकिन कभी-कभी उलझनों में भी बवाल कर देती है तू......

ए-जिंदगी बहुत हैरान कर देती है तू💫


-


2 AUG 2021 AT 0:24

इन सूजी हुई आंखों का राज अक्सर लोग मुझसे पूछते है....
तेरा नाम बताऊ या अपना किस्सा सुनाऊ?

-


31 JUL 2021 AT 13:01

बदलते वक्त के साथ उसे भी बदलते देखा है मैने...

अपनी धड़कन को दिल से जुदा होते देखा है मैने...

उसके इंतजार में नजरो को दूर तक तकते देखा है मैने...

नैनो से निकले वो लाल अश्क़ को झुझते देखा है मैने...

अपने जिस्म से रूह को निकलते हुए देखा है मैने...

प्यारी सी मुस्कान को मायूसी में तब्दील होते देखा है मैने...

शायर को अपनी कलम तोड़ते हुए देखा है मैंने....

आँखों मे लगे उस काजल को धुलते देखा है मैंने.....

हसीन ख्वाबों को पल भर में टूटते हुए देखा है मैंने....

बेवफा को अपनी वफ़ा के आगे झुकते हुए देखा है मैंने...

घने पेड़ो से हरे पत्तों को झड़ते हुए देखा है मैंने...

बदलते वक्त के साथ उसको बदलते देखा है मैंने...
और बदलते वक्त के साथ खुद को सम्भलते देखा है मैंने!!!

-


Fetching Yashi Upadhyay Quotes