Yash Gupta  
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Joined 22 June 2017


Joined 22 June 2017
9 NOV 2022 AT 17:53

कोई रंगो की खोज में ले कर सूरज निकला।
गया जहां भी परछाई से सिर्फ काला रंग बिखरा॥

कोई बैठा काले बदल में, दूर रंगो के लालच से।
देख उसी की गोध से खुद इंद्रधनुष निकला॥

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19 JAN 2022 AT 22:59

लम्बी से लम्बी दूरियाँ आजकल।
मिनटो, घंटो, दिनो में तय हो जाती है।।
पर इतनी दूरी तय कर के भी।
क्या दूरियाँ कम हो पाती है ??

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14 AUG 2021 AT 8:49

मैं कमज़ोर भी हूँ और मैं ही घनघोर भी हूँ।

खुद को फूल समझने वाली, तुम मुझे बादल समझलो।

मैं खुद रो भी सकता हूँ, और मैं तुमने भिगो भी सकता हूँ।।

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30 MAY 2021 AT 18:13

कीमत जो भी हो, मुझे ऐसा इत्र चाहिए ।
शीशी में क़ैद करके, माँ की सारी की ख़ुशबू लाइए ।।

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7 APR 2021 AT 19:47

अब क्या ही कह दूँ मैं दिल की बात,
दिल में कुछ भी तो बचा नहीं।
जो जानते है वो पूछेंगे नहीं,
और जो पूछ रहे है उन्होंने पढ़ा नहीं।।

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18 DEC 2020 AT 18:27

मेरी कलम और सनम, बोहोत मिलते जुलते है,
दोनो की शिकायत यही है कि मैं, वक्त नहीं देता।।

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15 AUG 2020 AT 11:20

Destiny can play with your current address.
But nothing can change your place of birth.

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13 JUN 2020 AT 7:10

मेरी गली...
मेरा मोहल्ला...
ये सिर्फ़ मेरा तो नहीं..
पर आज भी पूरे हक़ से..
इसे अपना बोल देता हूँ..

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2 MAY 2020 AT 18:22

शीशे में मेरे शराब थी,
और पीना आदत ख़राब थी।
शीशा ना आदत लगा बैठे,
बस ये सोच के पी गया।।

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18 APR 2020 AT 20:25

हाँ जनता हूँ कि इंसानों के लिए सबक ज़रूरी था,
पर इतना कोहराम, के सबक सज़ा हो गया है।।

राक्षसों ने हड़प लि हो कुर्सी वहाँ, तब तो सब लाज़िब है,
मगर सत्ता तेरी ही है अगर अभी भी ख़ुदा, तो थोड़ा ज़्यादा हो गया है।।

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