YASH AGGARWAL  
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Joined 20 November 2017


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Joined 20 November 2017
16 APR AT 9:32

बस एक सिक्के से धरती ख़रीद सकता हूँ
मैं अपने ख़्वाब में कुछ भी ख़रीद सकता हूँ

मुझे तिरे लिए ख़ुशियाँ ख़रीदनी हैं दोस्त
सो क्या मैं तेरी उदासी ख़रीद सकता हूँ

कोई अज़ीज़ मिरा प्यासा मरने वाला है
मैं ख़ून बेच के पानी ख़रीद सकता हूँ

किसी की भूक मिटा कर भी भूक मिटती है
मैं रोटी बेच के रोटी ख़रीद सकता हूँ

मिरी समझ को समझना समझ से बाहर है
जो मैं ने बेचा है मैं ही ख़रीद सकता हूँ ...

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16 APR AT 9:26

उसके हाथों में जो खंजर है ज्यादा तेज है
और फिर बचपन से ही उसका निशाना तेज है

जब कभी उस पार जाने का ख्याल आता मुझे
कोई आहिस्ता से कहता था की दरिया तेज है

आज मिलना था बिछड़ जाने की नीयत से हमे
आज भी वो देर से पंहुचा है कितना तेज है

अपना सब कुछ हार के लौट आये हो न मेरे पास
मै तुम्हे केहता भी रहता की दुनिया तेज है

आज उसके गाल चूमे हैं तो अंदाजा हुआ
चाय अच्छी है मगर थोडा सा मीठा तेज है

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30 MAR AT 22:02

I write to Fool my heart.

Because it wants me to
share its stories
with "everyone".
But without
Telling "anyone".

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30 MAR AT 21:01

हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है
दुश्नाम तो नहीं है ये इकराम ही तो है

करते हैं जिस पे तान कोई जुर्म तो नहीं
शौक़-ए-फ़ुज़ूल ओ उल्फ़त-ए-नाकाम ही तो है

दिल मुद्दई के हर्फ़-ए-मलामत से शाद है
ऐ जान-ए-जां ये हर्फ़ तेरा नाम ही तो है

दिल ना उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लंबी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

दस्त-ए-फ़लक में गर्दिश-ए-तक़दीर तो नहीं
दस्त-ए-फ़लक में गर्दिश-ए-अय्याम ही तो है

आख़िर तो एक रोज़ करेगी नज़र वफ़ा
वो यार-ए-ख़ुश-ख़िसाल सर-ए-बाम ही तो है

भीगी है रात 'यश' ग़ज़ल इब्तिदा करो
वक़्त-ए-सरोद दर्द का हंगाम ही तो है

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27 MAR AT 19:33

पेंसिल की असंख्य गलतियां माफ हैं
मगर पेन पर जिम्मेदारियों का बोझ बहुत है।

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25 MAR AT 23:53

Sometimes I feel the
conversation is dying.
We want to talk
but we forget how to.

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25 MAR AT 23:42

"It's getting kind of difficult
for us to communicate at
times but always remember
I love you."

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21 MAR AT 20:50

Tum Saath Mere Chal Paogi Kya?

Kabhi Kabhi Toh Dard Milege,
Isha Ke Mausam Sard Milege.
Inn Dino Mei Bhi Muskurana Hoga,
Iss Rishte Ko Nibhana Hoga.

Aisse Rishte Nibhogi Kya?
Wafadaar Reh Paogi Kya?
Jb Call'o Par Hum Ladenge,
Tum Mujhe Phone Kr Manaogi Kya?
Sochta Hu Aksar Mei Ye,
Tum Sath Mere Chal Paogi Kya?— % &Paisa Bhi Toh Aajayega,
Naam Kmaa Ke Ghar Launga,
Jb Tum Bahon Mein Le Logi Mujhe,
Khusi Mei Main Toh Mar Jaunga...
Aissi Himmat Juta Paogi Kya?
Mere Sapno Ko Waqt De Paogi Kya?
Ghar Walo Ko Samjhaogi Kya?
Mei Raato Ko Ghazal Likhunga,
Tum Sher Mere Dohraogi Kya?
Sochta hu Aksar Mei Ye,
Tum Sath Mere Chal Paogi Kya?

Ke Aage Ka Safar Mushkil Hoga,
Hmare Ishq Ka Jb December Hoga.

Ek Nya January Laa Paogi Kya?
Nya Saal Mere Sath Manaogi Kya?
Saadi Phir Se Silwaogi Kya?
Jhumke Phir Se Sajwaogi Kya?
Kuch Mardo Ke Dukh Hote Hai,
Tum Unme Sath Nibhaogi Kya?
Sochta hu Aksar Mei Ye,
Tum Sath Mere Chal Paogi Kya?— % &

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9 MAR AT 9:26

दबाया गया है
हटाया गया है
मिटाया गया है
किसी अर्जुन को श्रेष्ठ साबित करने के लिए
हर युग में एकलव्य का अंगूठा कटाया गया है।

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12 FEB AT 10:10

सोच रहा हूं आज कुछ खास लिखू,
अपने मन के सारे एहसास लिखूं,
दिल के सागर में उमड़ते जज्बात लिखूं,
या तेरे बिन कैसे हैं मेरे हालत लिखूं,
सम्मोहित करने वाले आवाज की मिठास लिखूं,
या तुम्हारे संग जिन्दगी बिताने की आस लिखूं,
मिले तेरे गोद में मेरे सर को आधार लिखूं या
तेरी बाहों को अपने गले का हार लिखूं,
तुमको अपनी सर्वश्रेष्ठ अभिलाषा जैसे लिखूं,
अब तुम ही बताओ, तुमको मैं कैसे लिखूं....

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