मेरी मुस्कान तो थी तुझपर कुर्बान पर तूने निगाहों का बहाना बनाकर,इक बार फिर उदासी है ले आई। - यAश✍
मेरी मुस्कान तो थी तुझपर कुर्बान पर तूने निगाहों का बहाना बनाकर,इक बार फिर उदासी है ले आई।
- यAश✍