Yasbant Kumar   (यAश✍)
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Joined 4 April 2018


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9 JUL 2020 AT 21:55

जैसे हजार दर्पण

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25 JUN 2020 AT 21:53

जाने कहाँ कहाँ नहीं अड़ा हूँ;
जुड़ा नहीं वो, क्या इतना बुरा हूँ?

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3 JUN 2020 AT 19:08

कर स्वीकार न कोई अपराध करता हूँ
किसी के अस्वीकार को यूँ स्वीकार करता हूँ

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26 MAR 2020 AT 19:40

यूँ आगाज़ में दूरी गर है जरूरी
न जाने अंजाम में क्या हो मजबूरी

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26 MAR 2020 AT 19:30

आवारगी से क्यों नाराजगी है
यूँ तो दीवानगी भी इक मस्ती है

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26 NOV 2019 AT 23:45

पता नहीं कोई छंद है या द्वंद है ये प्रेम
होता नहीं जबतक,कहाँ रहता बंद है ये प्रेम

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26 NOV 2019 AT 23:37

वो रंग जो तुम पर खिलता है
बताओ वो ढंग कहाँ मिलता है

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25 NOV 2019 AT 23:16

अनसुलझी कोई जज्बात है

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24 NOV 2019 AT 19:35

नाउम्मीद भी रहूँ तो तुझसे ही उम्मीद करुं
कहाँ से लाऊँ वो दिल कि तुम्हें नाउम्मीद करुं

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26 OCT 2019 AT 16:31

सवालात तो बहुत सारे हैं
किसलिए और किसके सहारे हैं
जिने मरने की क्यों पडी़ है
जब हम खुद ही इतने बेसहारे हैं

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