12 AUG 2017 AT 21:08

उस किताब को हम अाज भी नहीं पढ़ पाएे,
जिसके पन्ने कभी तुम ने सजाएे थे ||
वो रेत सी जम गयी होगी जिस पर,
वो चादर हम अाज भी न सिकोड़ पाएे ||
गीले से सपने मेरे, जैसे ख्वाबों मे रोना,
फिर सूख जाना उनका, जैसे तेरा मेरे अांसू चूमना ||
जाने पल-पल क्यों कंगाल सा होना,
जमा पूंजी सब तुम में जैसे सिमटी थी ना ||
अा कर बस रंगीन बना दो मुझे,
कि मुझ में बस बाकी हैं तेरा जिंदा होना,
तेरा जिंदा होना ||

- Yansi Keim