20 MAR 2018 AT 23:44

अल्फ़ाज़ भी वही थे वक़्त भी वही था
दरिया भी वही थी साहिल भी वही था
बस खामोश सी थी हमारी सांसे यारों
क्यों कि मोहब्बत ऐ दौर गया...
बिछड़ने का ये वक़्त था।

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