Niranjan kr Yadav   (www.hindiyans.com)
28 Followers · 3 Following

read more
Joined 18 November 2017


read more
Joined 18 November 2017
6 APR 2021 AT 22:09

जायज है कि तुम हमसे नफरत करो
क्यों की मोहब्बत है हमें तुम्हारी मोहब्बत से

-


13 SEP 2020 AT 8:17

है बची कुछ चिंगारियां ठंड में पूरा संसार है,
किस किस में फैलाओगे मोहब्बत की ये बातें
काटने को कुत्ते तक तैयार हैं।

-


18 JUL 2020 AT 21:34

क्यों?
क्यों आकांक्षाओं की सीमा को लांघ हताहत होती है ये मन-मस्तिष्क हमारी?
क्यों संवेदना प्रभावित होती है किसी से, रिश्तों की कड़ी स्वार्थ पे टिकी है जानते हुए भी?
क्यों विश्वास की अंत छल से होती है?
क्यों उदारता की अंत कई कष्टदाई कृपणताओं से होती है?
क्यों क्षणिक भर की सुख रूपी स्वार्थ किसी के सम्पूर्ण जीवन को अंधकारमय कर देती है?
क्यों हम उस विलाश की महत्वाकांक्षा रखते हैं जो कइयों की निचोड़ी लहू के समान होती है?
कन्हैया क्यों सवालों की अम्बार एक तूफान सी खड़ा कर देती है ये जानते हुए भी की इसका कोई महत्व नहीं है , ये बिल्कुल उस कथा समान है जो डकैत और संत दोंनो रात को सुनते हैं और अगले दिन अपने कार्य में विलीन हो जाते हैं।

-


15 JUL 2020 AT 22:04

रिश्ते-नाते से परे ,मैं कौन हूँ?
इस समस्त जहाँ में मेरी अस्तित्व क्या है?
जन्म से पहले मृत्यु के बाद का मैं कौन हूँ?
हमारी इस धरती पर जीवन का उद्देश्य क्या है।

सिर्फ पढ़ें नहीं एक बार सोचें!!





-


6 JUN 2020 AT 22:43

I don't mind if i don't get you in this life,
but i surely will revolt if god doesn't give you to me at the end of life and death!!

-


1 JUN 2020 AT 1:03

बेशक आऊँगा मैं तेरे दर पे ख्वाइश ले अपनी एक दिन
तन को रोक लेते हैं सारे जाँ तो आज़ाद होगी ही!!

-


29 MAY 2020 AT 22:05


एक वक्त था जब उन्हें शौक थी मेरी हो रहने की,
आज उनका किसी ओर की जागीर हो जाना मुझे यकीं नहीं होता।

-


28 MAY 2020 AT 21:18

गर हर बीते लम्हें के मकसद ना होते ज़िंदगी में
तो कल की मोहब्बत आज सबब न होती ।

-


25 MAY 2020 AT 19:08

मैं भारत हूँ,
हाँ वही भारत जहाँ लोग चीनी मोबाइल से स्वदेशी भारत की बात करते है,
हाँ वही भारत जहाँ अरबों की मूर्तियाँ चीन से मंगवाकर आत्मनिर्भर भारत की बात की जाती है,
हाँ वही भारत जहाँ BSNL समेत दर्जनों कंपनियां को दफ्न कर एक गैर सरकारी टेलीकॉम कंपनी को खड़ा किया जाता है,
हाँ वही भारत जहाँ रोज करीबन 7000 लोग भूख से मरते हैं,
ये वही भारत है जहाँ अर्थव्यवस्था की विकेंद्रीकरण के नाम पर देश में गिने चुने कम्पनियों के आधिपत्य को सराहा एवं स्वीकारा जाता है।
ये वही भारत है जहाँ के स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा के गाँव तक को पीने का पर्याप्त पानी नशीब नहीं है ।
मैं बेषक अपने समृद्ध भारत की दर्शन करना चाहता हूँ लेकिन क्या उस भारत की नालन्दा विश्वविधालय का दर्शन करना उचित है जहाँ 40% से अधिक अशिक्षा मौजूद है?
क्या उस भारत की भाखड़ा बांध को सराहना उचित है जहाँ करोड़ो लोगों को आज भी स्वक्ष जल नशीब नहीं है?
खैर घाव से भरी तन को अक्सर स्वदेशी भारत , आत्मनिर्भर भारत नामक मरहमों से ढकने की कोशिश की जाती है।
लेकिन जब तक आखिरी छोर में बैठे व्यक्ति को उसका मौलिक अधिकार नहीं मिल जाती तब तक हर परियोजना हर एक भाषण महज एक ढकोसला है जो भारत भूमि को सदैव घायल सदैव कलंकित करती रहेगी।

-


24 MAY 2020 AT 17:48

गर मिले खबर तो खबर कर देना मुझे भी
मेरे खबरों में रहना ख्वाइश थी उनकी !!

-


Fetching Niranjan kr Yadav Quotes