यारियाँ  
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Joined 4 June 2020


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10 MAY 2023 AT 20:17

पहले दर्द मिलने पर डर लगता था........
अब दर्द को खोने पर डर लगता है....💔
इसलिए दिल किसी को उसमें बसने नहीं देता
नासुर बनें ज़ख्म पर मरहम लगाने नहीं देता।
देखो वक़्त भी कैसी करवटें लेता है...........
दिल दर्द को ही अब हमदर्द बना बैठा है.... 💔💔💔

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30 OCT 2022 AT 18:38

सूरज हूँ जिन्दगी मे रमक छोड़ जाऊँगा!
मैं डूब भी गया तो शफ़क छोड़ जाऊँगा!

#आस्था #छठ पर्व 🙏

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21 OCT 2022 AT 16:38

मत कीजिए हमे भुलाने की नाकाम कोशिशे ❗

आपका यू हार जाना हमे अच्छा नही लगता ‼️

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18 OCT 2022 AT 21:52

सुना है तेरे आगे सब हार जाते हैं
ऐ इश्क़ तूँ बीजेपी से क्यों नहीं लड़ता🙂

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7 JUL 2022 AT 11:35

अपनी बात को बिना कहे
समझा देती थी वो!
जब कभी उदास होती
अपनी DP हटा देती थी वो!
अब उससे बात नही होती
काफी वक़्त गुजर गया
वो सोचती होगी कि
मैं बदल गया हूँ
और मुझे लगता है
शायद बदल गयी है वो!
उसकी फिकर ने
मेरी बेचैनी बढा रखी है
कुछ दिनों से उसने DP
हटा रक्खी है!🙂🙂

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6 JUL 2022 AT 9:26

मेरे हाथों में अक्सर खुली हुई किताब को देखकर वो कहा करती थी "मैं भी पाठक बनना चाहती हूं" और हम बिना वक्त गवाए किताब को उसके हाथों में रखकर कहते, तो बन जाओ ना इसी वक्त "पाठक"।

उसका अपने नाम के आगें पाठक लगा लेना, मुझे मन ही मन हंसने पर मजबूर कर देता था, मैं इसे उसकी नादानी मान लिया करता था।

स्नेः स्नेः कॉलेज का दिन कब खत्म हो गया, हमें पता ही नहीं चला। वो हम सबका कॉलेज में आखिरी दिन था। अगली सुबह हम अपना बोरिया बिस्तर बांधकर अपने अपने घर को जाने वाले थे। रात के तकरीबन साढ़े दस बजे हॉस्टल रिसेप्शन गार्ड मेरे कमरे के दरवाजे पर नॉक किया। मैं आंख मिचते हुए दरवाजा खोला ही था की उसने कहा, एक मैडम हॉस्टल मेन गेट पर आपका इंतजार कर रही है।

गेट पर कल्पना खड़ा देख मुझे सहसा याद आया, उसकी ट्रेन रात एक बजे की थी। वो मेरे हाथों में कभी मुझसे ली हुई किताब "मुसाफिर कैफे" को रखते हुए बोली, घर जाकर मुझे भूल मत जाना। मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी मिस्टर पाठक।

इससे पहले की हम उसकी कही हुई बातों का अर्थ समझ पाते वो मुझसे लिपटते हुए बोली मैं ताउम्र के लिए बनना चाहती हूं एक सुधी पाठक, "तुम्हारी "

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5 JUL 2022 AT 13:04





मैं तलाश रहा हूँ
Rest in caption

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4 JUL 2022 AT 20:33

...दिल के दर्द को छुपाना
कितना मुश्किल है
टूट कर फ़िर मुस्कुराना
कितना मुश्किल है.
किसी के साथ दूर तक
जाकर तो देखो.
अकेले लौटकर आना
कितना मुश्किल है.😔

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3 JUL 2022 AT 11:40

लौट आऊँगा फिर से तेरी पनाहों में ऐ ज़िन्दगी.
बाज़ार-ए-इश्क़ में पूरी तरह लुटने तो दे मुझे.

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23 JUN 2022 AT 16:13

पुरुष???

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