mansi kaur   (🍁Mansi🍁)
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Joined 4 September 2017


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Joined 4 September 2017
10 APR 2023 AT 10:31

🍁
My Heart feels Sorry
For the words
It keeps remembering.
🍃

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18 OCT 2022 AT 14:50

In the meanwhile you're all by yourself.

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5 OCT 2022 AT 18:30

अंग 1157

लंका गढ़ सोने का भया
मूर्ख रावण क्या ले गया
कहां भयो दरबंधे हाथी
कह कबीर चले जुआरी दोहे हाथ छार।।

कबीर

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8 AUG 2022 AT 11:53

🍁🍁
कभी-कभी कुछ रिश्तो में कुछ भी कमी नहीं होती
बस
एक रिश्ते को कम करने की ज़रूरत होती है।
🍁

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30 JUN 2022 AT 21:50

When my time is acquired by friendship, conquered by friends💕
Instead of worries, bestowed by life.

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7 JUN 2022 AT 2:03

🍁
नसीब में लिखा
भी तो क्या....
सुनाने को सिर्फ
एक किस्सा।
🍂

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28 MAY 2022 AT 0:55

kade ehna kisi de piche na daudna
K pairan to jyada tuada dil hi thak jaye.. 🥀

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28 MAY 2022 AT 0:16

I wish the world knew I'm existed.
The flower colored blue, always detested.
Still waiting for her blue moon, disappointed,
Stand alone in the queue, dejected
Dying dew by dew, muted.

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20 MAY 2022 AT 16:32

Musafir

जाने वाले ने खुशनसीबी मेरी
मुझे खाली नहीं छोड़ा।
ज़हन में इक तस्वीर
और टूटा दिल था उसने छोड़ा
भरे जज़्बात गले तक
आंखों में बहता पानी रोला
हाथों से हाथ सरकने
कुछ भिखरने का एहसास छोड़ा
चलती ट्रेन का नजारा छोड़ा वो आसमान छोड़ा
रास्ता मोडा़
घर जिधर था मेरा।

भरकर, अधूरा मेरे
खालीपन को कर गया
भारी दिल को कर मेरे
हाथों की लकीरे ले गया।

साथ ले गया वो संगदिल यादें दे गया।

जिसे कहती थी मैं अपना
वो राह का मुसाफिर हो गया

काश के वो जाता नहीं।
अब कोई चाह नही ना राह रहीं
सब याद है कोई रहा नहीं
इस बात का भी गिला नहीं
पहुंचा नहीं
मेरा रास्ता उस पार कहीं
बेख्याल अब मैं रही नहीं
आफताब जब डूबा कहीं।

मुंतजी़र उसकी झलक की मैं
मैंने रातों को है दम तोड़ा
जाने वाले ने खुशनसीबी मेरी....कभी साथ नही मेरा छोडा़। 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁

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11 MAY 2022 AT 3:15

आजकल लोगों को बस बोलना आगया है,🌒
निभाने वाली नसलें गई।

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