रात वह थोड़ी और लंबी होती, जुदाई के पहले साथ की अंगड़ाई कुछ और ली होती, थोड़े बहुत सपने और बुन लेते उन्हें साकार होने का वास्ता दे कुछ पल और साथ के चुन लेते, पर क्या करते, आग अब ठंडी होने लगी थी सर्दी की रातें अब और कठिन होने लगी थी, ऐसी में तुम्हारा घर लौटना ही उचित था बातें ये हमारी तुम्हारी कब खत्म ही होनी थी।
रंगे खुद को ममता के रंग में, कितने दिन हुए देखे इंद्रधनुष अंबर में, बहुत दिनों से सतरंगी रंगोली नहीं बनाई बैठकर जी भरकर किसी को दिल की नहीं बताई, काश वह दिन भी लौट आए जहां दिल बेफिक्र होकर हँसे, और आत्मा संतोष का कोई गीत गुनगुनाए।
सुनोगे जो ध्यान से सुनाई देगी दिल की पुकार, और साथ ही इक तान सुरीली सी भी सुनाई देगी, जो होगी तेरे मन की पुकार जो थिरकोगे उस संगीतमाला की धुन पर तो पाओगे खुद को अपने पास।
The lone moon of the dark sky Suddenly found herself covered in red Surprised, She looked down, To find two hearts Sitting in a corner Enjoying solace.
हाल इन जज़्बातों का जानिए, बैठिए किसी शाम साथ अपने भी, और धड़कनें अपनी भी ज़रा सुनिए, समझिए कि क्या कहता है आपके हृदय का स्पंदन, बुझिए वह भी जो नहीं कह पा रहे हैं आपके अधर, देखिए ज़िंदगी आसान हो जाएगी पाओगे जो खुद को तो ज़िंदगी हसीन बन जायेगी।
वक्त को उस रात ही थम जाना चाहिए था, जिस रात हम हँस रहे थे और भविष्य के सपने निष्फिक्र ही बुन रहे थे, बड़ी स्वप्निल और सलोनी वह रात थी जब आखिरी बार वह मेरे सामने मेरे साथ थी।