Vivek Sumitra Kumar Vishwakarma   (Vivek kumar vishwakarma (शान))
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Joined 19 November 2017


Joined 19 November 2017
14 OCT 2021 AT 22:30

खैर खुश हूं कि गैर भी
उसके अपने सहारे हो गए,
भीड़ कुछ इतनी बड़ी
कि हम किनारे हो गए।

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चंद ही दिन हुए मुझे निकले हुए,
आज उनके लिस्ट में नए अपने हैं।

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मैं जिसके लिए सबको अलविदा कहता गया,
वह मुझे यूं ही अलविदा कहेगा मालूम ना था।

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उसे फर्क नहीं पड़ता मेरे होने ना होने से,
अब शायद उसे कोई और शौक है।

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22 SEP 2021 AT 17:59

यू नहीं डूबा मेरी शोहरत का परचम,
कई अपनों ने नीव हिलाई है।

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गनीमत है उसे मेरा घर नहीं मालूम,
कई बस्तियां जलाई है मेरी तलाश में।

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16 SEP 2021 AT 23:58

भीड़ नहीं चंद लोग हैं मेरे जलसे में,
वह मेरे शब्दों को कयामत कहते हैं।

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16 SEP 2021 AT 23:54

खैर काबिलियत पर शक उनको भी नहीं मेरी,
इसी शक ने कईयों के यकीन को ठिकाने लगा दिया।

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28 AUG 2021 AT 18:08

चलो कोहराम मचाया जाए,
शाम ए गम में मुस्कुराया जाए,
जो हो चुके हैं बेगाने,
उन्हें अपना बताया जाए।

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28 AUG 2021 AT 17:52

Motivation

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