प्रेम काफी नही है।मजबूरी भी चाहिए। -
प्रेम काफी नही है।मजबूरी भी चाहिए।
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वो एक आदत नही जाती। जिस आदत का पोषक।आपकी रोज़मर्रा की तमाम छोटी-छोटी आदतें है। -
वो एक आदत नही जाती। जिस आदत का पोषक।आपकी रोज़मर्रा की तमाम छोटी-छोटी आदतें है।
और अचानक अापको लगता है कि, बेहतर बनना आप नही चाहते। आप बस शांत बैठना चाहते है। बगैर किसी फ़िक्र के।जैसे आप हर चीज़ से संतुष्ट होना चाहते हो। -
और अचानक अापको लगता है कि, बेहतर बनना आप नही चाहते। आप बस शांत बैठना चाहते है। बगैर किसी फ़िक्र के।जैसे आप हर चीज़ से संतुष्ट होना चाहते हो।
जिसे तुम प्रेम समझती थी।कवितायों में,वो प्रेम नही।बस भाषाओं की,छोटी सी भूल है।शब्दो मे अगर प्रेम पनपा होता तो,संसार की सारी समस्याएंबस भाषा की समस्या नही होती। -
जिसे तुम प्रेम समझती थी।कवितायों में,वो प्रेम नही।बस भाषाओं की,छोटी सी भूल है।शब्दो मे अगर प्रेम पनपा होता तो,संसार की सारी समस्याएंबस भाषा की समस्या नही होती।
तेरी बाते सुनकर इतना ही गुमां होता है।मर जाऊं या जीने के और बहाने ढूंढ लूँ। -
तेरी बाते सुनकर इतना ही गुमां होता है।मर जाऊं या जीने के और बहाने ढूंढ लूँ।
फर्क बस इतना सा ही है।मर्द रिश्तो की डाल से छलाँग लगाना जानते है।और औरते उसी डाल पेघोंसला बनाना। -
फर्क बस इतना सा ही है।मर्द रिश्तो की डाल से छलाँग लगाना जानते है।और औरते उसी डाल पेघोंसला बनाना।
शब्दो के संग जब लोग अकेले बचते है।तब वो अपने व्यंग के ही पीछे छुपते है। -
शब्दो के संग जब लोग अकेले बचते है।तब वो अपने व्यंग के ही पीछे छुपते है।
मैं आध्यात्मिक होते होते रह गया।इसीलिए मैं शराबी हो गया। -
मैं आध्यात्मिक होते होते रह गया।इसीलिए मैं शराबी हो गया।
एक ही स्रोत से निकलती है।ह्रदय की सूक्ष्म धारा।कभी दुःख की अनुभूति बताई जाती है।कभी प्रेम का असीम आनंद। -
एक ही स्रोत से निकलती है।ह्रदय की सूक्ष्म धारा।कभी दुःख की अनुभूति बताई जाती है।कभी प्रेम का असीम आनंद।
इश्क़ में दिल जरा शिताबी तो .हो।आशिको का ख़ाना-ख़राबी तो हो।वो गए दिल के कोफ्त के जानिब।बस दिल का शीशा हबाबी ना हो।शब में तमाम गुफ़्तार किससे .करे।क़मर भी हमारी तरह शराबी तो हो। -
इश्क़ में दिल जरा शिताबी तो .हो।आशिको का ख़ाना-ख़राबी तो हो।वो गए दिल के कोफ्त के जानिब।बस दिल का शीशा हबाबी ना हो।शब में तमाम गुफ़्तार किससे .करे।क़मर भी हमारी तरह शराबी तो हो।