नस नस में बसा ।जब चाहत का नशा ।।मदहोश हो गया वो ।आशिक बन गया जो ।रियायत क्या,खुद को ही लूटा गया वो ।। - Utkarsh utthan
नस नस में बसा ।जब चाहत का नशा ।।मदहोश हो गया वो ।आशिक बन गया जो ।रियायत क्या,खुद को ही लूटा गया वो ।।
- Utkarsh utthan