विवेक प्रभा   (Utkarsh utthan)
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Joined 8 April 2018


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Joined 8 April 2018
29 AUG 2023 AT 10:36

मेरे दोस्त- कद्र जरूर करो,
पर - फिक्र , खुद से ज्यादा नही ।
तुम्हारे ज्यादातर लोग -
तुमसे है....
तुम उनसे नही ।।

-


27 AUG 2023 AT 23:02

बहते जाओगे
तो
कहाँ सम्भल पाओगे ।
समय के साथ
बढ़ते जाओ ।
खुद भी बढो-
औरों को बढ़ाओ ।।

-


21 AUG 2023 AT 10:23

जितनी दूर तुम
इस मिट्टी से चले जाओगे ।
मानो य न मानो
खुद को अकेला ही पाओगे ।।
मेरे दोस्त ......
ये मिट्टी नही...
साक्षात माँ है--
जिसदिन, जब, जैसे ही सचमुच जाग जाओगे ।
खुद को , इस जगद्जननी के गोद मे ही पाओगे ।।

-



एक गहन
अंधेरी रात- के बाद,
ही....
फूल खिलेते है ।
और अच्छे दोस्त भी-
इतनी जल्दी कहाँ....
बड़े इंतजार के बाद-
ही....
मिलेते है ।

-



जी लूंगा मैं-
कोई मुश्किल नही-नही…..
बस-तुम दिख मत जाना-
दूर-दूर ..तक-कहीं...।।

बिबेक प्रभा

-



उसने कहा--
कल एक हाथी - उड़ रहा था.......
पर- उसे तो
हमारे कपड़े सूखाने वाले तार पर
बैठा देखा था ---
मैंने कहा --।।

-



रिश्ते- जन्मतेहि बहोत सारे--
यहां हमे मिल जाते है ।
अपनी अपनी जगह फूल , ,
सारे ही, खिल जाते है ।।
फिर सादी जब कर लेते है ।
वापस,
रिश्ते नए कुछ पा जाते है ।
कितना खयाल रखती है ये प्रकृति ।
मानो-
हम पहले से लेकर-आये हो स्वीकृति ।।
प्रकृति से हमने - यहां- सिर्फ लिया ही लिया ।
वापस प्रकृति को -कब- कौनसा रिश्ता दिया ।
आओ, कुछ प्रेम हम प्रकृति को -
अब वापस लौटाऐं ।
रिश्ते- दिव्यत्व के-कुछ हम भी बनाएं ।।
सुगंध बन्धुत्त्व की -कुछ हम भी महकाएं।

मित्रता दिवस की शुभकामनाएं ।

-



माँ
माँ सिर्फ एक शब्द नही....
पूरी -प्रकृति है ।
समझो तो-
उस परम् परमेश्वर की.....
जीवन-स्वीकृति है ।




मातृ दिवस - हृद्य श्रद्धार्पण ।।


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14 FEB 2021 AT 19:12

वो इश्क नही ... कुछ और होता है ।
हमारा भ्रम है - हमे इश्क लगता है ।।

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14 FEB 2021 AT 19:05

हाँ था ...
आज भी है-
और कल भी रहेगा ।
कहले-कोई कुछ भी कहेगा ।
पर
उस किसी का -
इंतजार तो रहेगा ।।

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