27 JUL 2017 AT 7:32

वाह रे कुर्सी तेरा खेला, वाह रे कुर्सी तेरी जय

कल तक जिसको खूब लथारा
शब्द तीर भेद उसको मारा
कपटी मूर्ख उसे पुकारा
कुछ क्षण में ही देख रे बबुआ कैसे बदला है परिचय
वाह रे कुर्सी तेरा खेला, वाह रे कुर्सी तेरी जय

गठबंधन का अनूठा खेल है भईया
कोई यहां नही मित्र रे भईया
कोई यहां नही पवित्र रे भईया
उल्टी बहती धाराओं का भी जाने कब हो जाये विलय
वाह रे कुर्सी तेरा खेला, वाह रे कुर्सी तेरी जय

युगपुरुष का उपहास किया
तेजस्वी सा अट्टहास किया
ममतामयी उल्लास किया
क्योंकि तू मासूम था, तुझे थोड़े कुछ मालूम था

कुछ क्षण पहले 'कु' का भय,अब हो रही तेरी जय
वाह रे कुर्सी तेरा खेला, वाह रे कुर्सी तेरी जय


- Vivek Kumar