जीवन के घावों को सहन करके मैं,वक्त के मरहम से उन्हें भर रहा हुँ।हूँ तो आखिर मैं भी एक इंसान ही,इसीलिये रिश्तो के मोह में बन्धकर उन्हे फिर से बुनने कि कोशिश कर रहा हुँ। -
जीवन के घावों को सहन करके मैं,वक्त के मरहम से उन्हें भर रहा हुँ।हूँ तो आखिर मैं भी एक इंसान ही,इसीलिये रिश्तो के मोह में बन्धकर उन्हे फिर से बुनने कि कोशिश कर रहा हुँ।
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जिन्दगी कि बेरूखी तो देखिये ज़नाब...इश्क लेने गये थे..फरेब लेकर लौटे है.. -
जिन्दगी कि बेरूखी तो देखिये ज़नाब...इश्क लेने गये थे..फरेब लेकर लौटे है..
वो आज अपनी समझ को मुझे समझाने कि कोशिश कर रहे हैं।जो कभी मुझे समझने का दावा किया करते थे। -
वो आज अपनी समझ को मुझे समझाने कि कोशिश कर रहे हैं।जो कभी मुझे समझने का दावा किया करते थे।
मेरी लाख कोशिशों के बाद भी जो हासिल ना हुआ।तुम वो अधूरा ख्वाब हो जो कभी मुकम्मल ना हुआ। -
मेरी लाख कोशिशों के बाद भी जो हासिल ना हुआ।तुम वो अधूरा ख्वाब हो जो कभी मुकम्मल ना हुआ।
हर बार खुद को सही समझना भी सही नहीं होता,कभी दूसरे के सही को भी सही समझ के देखों। -
हर बार खुद को सही समझना भी सही नहीं होता,कभी दूसरे के सही को भी सही समझ के देखों।
कुछ लिहाज़ है इसीलिये इशारे से समझाता हूँ,वरना मुहँ पे कह कर औकात दिखानी हमें भी आती हैं। -
कुछ लिहाज़ है इसीलिये इशारे से समझाता हूँ,वरना मुहँ पे कह कर औकात दिखानी हमें भी आती हैं।
उनकी शख्शियत हमें कुछ यूं पता चल गयी,जब एक पल मे उनकी सादगी बेरूखी में बदल गयी। -
उनकी शख्शियत हमें कुछ यूं पता चल गयी,जब एक पल मे उनकी सादगी बेरूखी में बदल गयी।
मेरे अपनों ने ही मुझे छला है,कसूर उनका नहीं,बस वक्त ही मेरे खिलाफ हो चला है। -
मेरे अपनों ने ही मुझे छला है,कसूर उनका नहीं,बस वक्त ही मेरे खिलाफ हो चला है।
आज फिर बात गया...आने वाले कल के लिए !!! -
आज फिर बात गया...आने वाले कल के लिए !!!
वंदे मातृमं ही तो उनके इश्क का कलमा थामन मे क्रांति और आँखों में आजादी का सपना थाहौसलों मे उनके शहादत और रगो़ मे जुनून थामतवाले थे वो अपनी ही धुन केउन्हें तो बस आजादी का फितूर था -
वंदे मातृमं ही तो उनके इश्क का कलमा थामन मे क्रांति और आँखों में आजादी का सपना थाहौसलों मे उनके शहादत और रगो़ मे जुनून थामतवाले थे वो अपनी ही धुन केउन्हें तो बस आजादी का फितूर था