ख़ामोश इल्तिज़ा है इक, जिसे कभी बयां मत करना !
मेरी यादों को रखो न रखो, यह तुम पर छोड़ा हमने,
बस इन्हें फना मत करना !
ये सांसों की पतंग, है इक बस तुमसे जुड़ी,
इस पतंग को तोड़ कर, हवा मत करना !
इश्क के रंग में रंगी है, ये डोर मोहब्बत की,
रख लेना इसे संभाल, इसे रंवां मत करना !
ये इश्क का बचपन है, बचपन ही रहने दो,
जमाने के सामने इसे, जवां मत करना !-
मेरे शब्दों को सुन क्या फिर उसके चेहरे पर मुस्कान आएगी ?
मेरी मौहब्बत क्या उसे रास आएगी ?
भीग तो जाऊं मैं भी फिर तेज़ बारिश में,
पर क्या वो मुझे फिर उस तरह से गले लगाएगी ?-
मेरे लिखे गीतों को अब गुनगुनाएगा कौन,
मेरे कहे शब्दों को दौहराएग कौन !
ये सोचकर मान जाता हूं अब,
गर रुठा गलती से, तो मनाएगा कौन !!-
Difference between reel life and real life...
In reel life, a character has only a single or just a few extra chances to correct things.
But in real life...
You have 365 days in a year to start fresh every day.
You have 365 evenings to let go of all the rubbish and useless things.
So, ignite your soul this New Year and start making things right to come out of your dark side.
Life doesn’t have a Control+Z button, so take this New Year as an opportunity to make things better.
Linamar gives us the opportunity to grow within....
Let's grab this opportunity and create new Milestones.
Happy New Year To All ..-
मुझसे मेरा अक्श आज, रूबरू हो गया,
था जो मुझमें खतम, वो फिर शुरू हो गया !!
है गर मुझसे गिला, तो बयां कर भी दो,
तन्हा कर, चल देने का ये सलीका तो जैसे बदस्तूर हो गया !!
आलम आरा सा रोशन हुआ इक शख्स मोहब्बत में,
मोहब्बत में महबूब, कोहिनूर हो गया !!
बैफिक्र घूमता रहा "विश्वास" बज़्म ए जानाँ में,
जैसे इश्क का मर्ज़ , अब कोसों दूर हो गया !!-
जिंदगी की मिठास,
जन्म के समय मिलने वाले काजू कतली और म्रत्यु के समय बटने वाली मावे की बर्फी के बीच रहती है...
So please always maintain a sweet demeanor, so that anyone who comes to you leaves with a taste of happiness.-
गर उसे रख भी लूं अपनी पनाहों में, तो कहां मेरा मुकद्दर बदल जाएगा !
वो पानी सा है, समंदर से मिलेगा और लहरों में बदल जाएगा !!
परिंदों का भी अपना, इक अलग फलसफा होता है !
पिंजरा खुला, तो वो फिर आसमां में उड़ जाएगा !!
मेरा क्या है , इक वक्त ही तो है !
१२ से चलेगा, १२ पर मिलेगा , फिर १२ पर ठहर जाएगा !!
ये रंजोगम की ज़िंदगी, इस कसमकश में कट रही है !
क्या ' विश्वास ' के पहलू में फिर कोई तिलस्म आएगा !!-
इश्क विश्क मौहब्बत वोहोब्बत !
सब इक तरफा रह गया !!
बज़्म-ए-ज़ानां में शिरकत की थी उसने !
फिर जानें वो कैसे इश्क में, तन्हा रह गया !!
सनम ने काटी सुकूं की रात, किसी गैर की सराए में !
इक आशिक तन्हा था, तन्हा ही रह गया !!
बड़ी फ़िक्र थी तुझे, खिलाता था बड़े प्यार से निवाला,
परिंदा उड़ा, पिंजरा खाली रह गया !!
इक तिनके के सहारे, चला था समंदर पार करने 'विश्वास' !
सहराओं का था तिनका, तेज़ हवाओं में बह गया !!
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चित चोर मनोहर है वो, मुरलिया... बड़ी... मनमोहक बजाए !
रुक्मिणी के स्वप्नों में आए, जामवंती.... जिसको ध्याए !!
मीरा के नैनों से रैन की नींद, राधा का जों... चैन चुराए !
जिसकी बंसी की धुन पर, ब्रह्माण्ड सारा मोहित हो जाए ।।
जग में कान्हा, वो कहलाए ।।
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ग़म ज़रीन हो कर भी, मुस्कराना पढ़ा तुझे !
खुद अपने ही जख्मों पर नमक लगाना पढ़ा तुझे !!
बेखौफ घूमता रहा वो, गुनहगार होकर भी !
बेकसूर हो कर भी, जेल में जाना पड़ा तुझे !!
वो... वो जों बैठा है न ऊपर, वो भी कम शरारती नहीं है!
उसकी चौखट पर जाकर भी, दरवाजा खटखटाना पढ़ा तुझे !!
चल दर्द का मर्ज समझ, पैमाना उठा ले 'विश्वास' !
क्या पता फिर कभी ये, साकी मिले न मिले तुझे !!
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