15 DEC 2017 AT 13:37

कभी महत्ता थी
जिन की शाखों पर
सज इठलाते थे
किसी देवता के गले
अब जीवन की धारा
ले चली बहाने
समय की नदी में
मिट्टी को मिटाने

- Vishwaroopa