Vishu Garg   (Aastha...)
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Joined 8 March 2018


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31 OCT 2021 AT 1:20

यू ही गुज़र गई कई रात
एक उम्मीद थी पूरी होगी आस
आज फिर अपनी फितरत से मजबूर
बनाये आशियाने को कर गया खाक

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18 MAY 2021 AT 0:14

कहे गए लोग कई, '' वहा क्या बात है ''
शब्दों में है कोई जादू या कलम में कोई बात है

समझाये अब किसको शब्द नहीं, ये दिल से निकली अवाज है

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2 FEB 2021 AT 23:32

माना लफ्जों की कुछ कमी थी
इसलिए जो कहना चाहा वो बात अनसुनी थी
शब्दों में ना पिरो सके तो क्या हुआ, जरा ध्यान तो देते
आँखों ने कहने में कहा कोई कमी छोड़ी थी

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20 JAN 2021 AT 23:00

एक से बढ़कर एक दलील थी
खुल कर नहीं कहा कुछ
तुम्हारे शिकन की यही वजह थी
बिन बोले ना समझा कुछ
बस ये ही तुम्हारी खाता थी

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10 JAN 2021 AT 0:15

गहरी अंधेरी रात में
नीर यू ही बरसता रहा
एक झलक देख ले वो
और ये मन यू ही तड़पता रहा

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8 NOV 2020 AT 0:52



हक़ीक़ते हालात पहचाने कोई कैसे
संक्षिप्त हो जब विचार धारा एसे
निजी हित तक बस चाहए समझना
चाहए पीड़ित हो कोई कितना

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16 OCT 2020 AT 0:16

शब्दों के पीछे का सन्नाटा सुनता नहीं कोई
हस्ते चहरे के पीछे का खौफ देखता नहीं कोई
यु ही खुशनसीब समझते हैं दूसरे को
किसी की आँखों मे झाँककर असलियत समझता नहीं कोई

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9 OCT 2020 AT 23:33

मानो अक्षर नहीं दिल ही निचोड़
कर रख दिया हो जैसे

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6 OCT 2020 AT 22:55

तेरे कहे शब्दों के जाल मे हकीकत कुछ यु छुप गई
पता होते हुए भी जो असल था मे उस से दूर हो गई

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28 SEP 2020 AT 23:17

कहते हैं कि प्यार मे इंतजार भी मीठा लगता है
अपने हमसफ़र का कहा हर लफ़्ज़ सच्चा लगता है
दिन बीते कई साल होने को आये
पता नहीं क्यु पर अब ये सब एक बहाना सा लगता है

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