उनसे नजदीकीयों की तलब नहीं दूरीयों का इन्तजार है गर सुकून मिले यू ही सोने में तो जान ए कब्र में भी बहार है - Vishal Singh
उनसे नजदीकीयों की तलब नहीं दूरीयों का इन्तजार है गर सुकून मिले यू ही सोने में तो जान ए कब्र में भी बहार है
- Vishal Singh