काश़ वो एक पल बस वहीं ठहर जाता
वो रेल गुज़र जाती पर तू ठहर जाता
कुछ दूर से देखा तुझे इतना क़रीब नहीं था
अगर क़रीब होता तो मेरा दिल ठहर जाता
मैं भटक रहा था न जाने कहाँ अब तक
तुझ सा कोई पहले मिलता तो मैं कब का ठहर जाता
ये पल जुदाई के मुझे भाते नहीं है
जब हम मिलते हैं ये वक़्त तब क्यों नहीं ठहर जाता ।
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