25 JUN 2017 AT 11:57

अगर मैं शायर हूँ ...तो मेरी शायरी हो तुम ,
मेरी बेजान लफ़्ज़ों की...गज़ल हो तुम ,
दिन में तुम हो ...तन्हा रात में भी तुम ,
जो शाम हमें मिलाये ..वहाँ भी तुम ,
मुझमे तुम हो ...तुम में तुम ,
अब हर सांस में ..
तुम ही तुम !

- Vishaloktiya