अगर मैं शायर हूँ ...तो मेरी शायरी हो तुम ,मेरी बेजान लफ़्ज़ों की...गज़ल हो तुम ,दिन में तुम हो ...तन्हा रात में भी तुम ,जो शाम हमें मिलाये ..वहाँ भी तुम ,मुझमे तुम हो ...तुम में तुम ,अब हर सांस में ..तुम ही तुम ! - Vishaloktiya
अगर मैं शायर हूँ ...तो मेरी शायरी हो तुम ,मेरी बेजान लफ़्ज़ों की...गज़ल हो तुम ,दिन में तुम हो ...तन्हा रात में भी तुम ,जो शाम हमें मिलाये ..वहाँ भी तुम ,मुझमे तुम हो ...तुम में तुम ,अब हर सांस में ..तुम ही तुम !
- Vishaloktiya