Vishal Kumar   (Raj)
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I am passionate about good writing creations.
Joined 23 January 2018


I am passionate about good writing creations.
Joined 23 January 2018
18 FEB AT 20:16

मेरी खुद्दारी को तौले,
बेमानी दुनिया दौलत से।
जो भूखा हो भावों का,
उसका भाव तुम क्या दोगे?
संबंधों के झीने धागे,
कितनी दफा तोड़ोगे।
मेरे मौन की है एक सीमा,
टूटा तो सैलाबों सा बिखड़ोगे।
मैं पत्थर का एक शिला हूं,
मुझमें मोम से कैसे रुप गढ़ोगे?
मेरे अंदर गंगा जमुना बहती है,
तुम सागर तक क्या संग चलोगे?







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24 JAN AT 8:06

कितनी तहों में फैला है किरदार तेरा,
हर शीशे में अलग शख्स नज़र आता है।
मुझे महसूस करना है तो आंखें बंद कर लो,
खुली आंखों से कहां मेरा वजूद नज़र आता है।

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24 JAN AT 8:01

# मर्द #

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24 JAN AT 7:58

# रिश्ते #

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20 JAN AT 2:19

जिस मोड़ पर हम बिछड़े थे,
वहां याद की नदी फूटी थी।
जिसके किनारे नहीं थे।
पानी खारे थे,
जो मन को हल्का और
होठों को नमकीन करते रहे वर्षों।
बरस के मौसम अनायास बदल गये,
सावन और पतझड़ अब साथ आते।
हकीकत ख़्वाब की गोधूलि में विरह गाते।
कैलेंडर में फरवरी के कुछ सप्ताह,
बस अब कभी नहीं आते।
भावना के केंद्र की सभी त्रिज्यायें,
तुम्हारे प्रेम की परिधि पे आते।
और समय का वृत्त बनाते।
मैं मूक संज्ञा शून्य हूं,
और गणित का एकमात्र अपवाद।
तुम्हारी परिधि और मेरे व्यास का अनुपात,
पाई नियत नहीं शायद नियति है,
जो अपरिमेय है और अप्राप्य।
नदी में नये संबंधों के सेतु निर्माणाधीन है,
पर नदी में पानी नहीं है बस नमक बचा है।



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20 JAN AT 1:12

मेरी आंखों से छलक गया था ख़्वाब तेरा।
फिर इस बंजर धरा पर कोई फूल न खिला।

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19 JAN AT 23:33

ख़्वाब ने तलब किया रात को,
तुम रात भर जागते क्यूं हो।
रात ने खामोशी से कहा,
आप इतना याद आते क्यूं हो।

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17 JAN AT 11:22

जो है दिल में, वो फैसला अदालत से न आयेगा।
माटी, मां पे आशार आयेंगें पर दुबारा मुनव्वर न आयेगा।

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17 JAN AT 11:15

मैं रोज सींचता हूं खुदको,
अदब की किताबों से,
मेरी ज़ेहन बांझ है क्या ?
मेरा कोई शेर मुक्कमल नहीं होता।

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14 JAN AT 16:15

Meri aankhon se tere dard ke,
Ye chhale nahi jaate,
Nikal chuke hai Teri duniya se lekin,
Teri yaad jehan se nikale nahi jaate.

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