टूटे शीशें के टुकड़ों सा चुभता हैं दर्द सीने में किसी और का दिया होता तो ये ग़म हल्का हो भी जाता पर इलाज़ नहीं अपनो से मिली चोट का जहान में कही भी - विशाखा सुरेलिया
टूटे शीशें के टुकड़ों सा चुभता हैं दर्द सीने में किसी और का दिया होता तो ये ग़म हल्का हो भी जाता पर इलाज़ नहीं अपनो से मिली चोट का जहान में कही भी
- विशाखा सुरेलिया