गुलों की पैरवी करते रहेंगे ,
नया गुलशन बसाना जानते हैं ।
विनी-
आप का साथ
डाले हाथों में हाथ .!
कुछ मिले न मिले..
ज़िन्दगी भर का विस्वास..!!
क्या मिलेगा तुम्हें ,,!
बता नहीं सकते क्या मिलेगा मुझे ...!!
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जाने क्या बात थीं आप के अंदाज़ में
उम्र भर इंतजार करने को दिल चाहता है ।
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फ़रिश्ते उतर आएं जमीं पर देखो
संग मिलकर हवायें काम करती है।
विनी-
दिल कहता निहारा करो..!
खुली आँखों से नज़ारा करो..!
पास आओ दूर न जाओ तुम ,
मिलना तुम्हीं से फोन दुबारा करो. !
फ़रेबी है दुनिया फ़रेब खाते लोग
अपने ग़म को न उभारा करो..!
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जरा सा बोल देते ...!
अंधेरे के छाया पुरुष ...!
तुम्हें तो बस..सहचरी की चाहत थी
तुम किसी स्त्री की जरूरत को कब समझें...!
ज़रा सा बोल देते ,मन के गांठ खोल देते..
नहीं न ! तुम्हे तो बाजार भानें लगा
तुम हर कली को जो मसलने लगे
तो सुनो अंधेरे के छाया पुरुष ..!
मुझे जीना आ गया ,मुझे मरना आ गया
तिल तिल मरने से अच्छा,उड़ना आ गया
ज़रा सा बोल देते....!!-
सपने मैंने भी तो देखें थे खुली आँखों से ,
आप ने मुझको हमेशा यूँ ही कमतर समझा।-