प्यार इकलौती ऐसी चीज़ है जो किसी से ज़बरदस्ती नहीं करवाया जा सकता। वो या तो होता है या नहीं होता। एक लंबे अरसे तक मैं यही सोचता रहा कि काश तुम्हें भी मुझसे वैसा प्यार हो जाए जैसा प्यार मैं तुमसे करता हूँ। लेकिन फिर तुमने मुझे प्यार का एक दूसरा मायना समझाया जो कि प्यार जितना ही ख़ूबसूरत था दोस्ती। अगर दोस्ती सच्ची हो तो प्यार जितनी ही, और कभी-कभी उससे भी ज़्यादा खूबसूरत होती है। इस बात को तुम ने मुझे समझाया। हाँ, ये बात और है कि आज भी दिल में कहीं ना कहीं एक कसक बाक़ी है, कहीं दिल के किसी कोने में एक छोटा सा मलाल रह गया है कि काश हमारा रिश्ता दोस्ती से थोड़ा ऊपर होता लेकिन तुम हमेशा कहती हो कि हमारा रिश्ता दोस्ती से ऊपर ही है, फिर भी ना जाने क्यों उसे प्यार का नाम नहीं देती।
ख़ैर,,,,,,,,,,
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