9 OCT 2017 AT 16:23

सुनो ! कुछ खुशिया रह गयी इसे भी साथ ले जाओ
इसपर अब एकाधिकार मुझे अच्छा नहीं लगता
नफ़रत तो नहीं गम में ही जी रहा हूँ सुकून से
ये तुम्हारा प्यार तुम्हे ही अब मुबारक़ हो
सच कहूँ तो मुझे अब सच्चा नहीं लगता है

- विनय चतुर्वेदी