वो जो आँखों से हस्ती है जरा सी मूँद करनजर ना लगे उसे काजल गिफ्ट करते है... भाते है जिसे शायद बारिश से पहले के और बाद के मौसम उसे वो मौसम गिफ्ट करते है... जिसके चहरे की चमक और मुस्कराहट पर रुके आंखे सबकी उसे हम वो मुस्कराहट गिफ्ट करते है... -
वो जो आँखों से हस्ती है जरा सी मूँद करनजर ना लगे उसे काजल गिफ्ट करते है... भाते है जिसे शायद बारिश से पहले के और बाद के मौसम उसे वो मौसम गिफ्ट करते है... जिसके चहरे की चमक और मुस्कराहट पर रुके आंखे सबकी उसे हम वो मुस्कराहट गिफ्ट करते है...
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जब आपकी झूठी इजत करने वाले इंसान की असलियत आपके सामने आती है..तो उससे सची नफरत हो जाती है.. — % & -
जब आपकी झूठी इजत करने वाले इंसान की असलियत आपके सामने आती है..तो उससे सची नफरत हो जाती है.. — % &
एक महफिल मैं रहकर लोग खुद को तन्हा बताते है.. — % & -
एक महफिल मैं रहकर लोग खुद को तन्हा बताते है.. — % &
दिलों से खेलने वाली ये धूप छांव का खेल तुमसे ना खेला जाएगा..आज दिन तुम्हारा है.कल हमारा दोर आएगा — % & -
दिलों से खेलने वाली ये धूप छांव का खेल तुमसे ना खेला जाएगा..आज दिन तुम्हारा है.कल हमारा दोर आएगा — % &
दोस्ती मैं लिया कर्ज भी अज़ीब...चुकाने के बाद दोस्ती खत्म हो जाती हैं.... -
दोस्ती मैं लिया कर्ज भी अज़ीब...चुकाने के बाद दोस्ती खत्म हो जाती हैं....
इंसान मेहनत ना करने के 100 बहाने ढूंढ लेता हैं..दोष किस्मत और कुंडली को देता हैं... -
इंसान मेहनत ना करने के 100 बहाने ढूंढ लेता हैं..दोष किस्मत और कुंडली को देता हैं...
तुम सभी को ये ही बतलाते हो क्या...तुमसे ही है सच्चा प्यार ये कहानी सबको सुनाते हो क्या...मुझे लिखने मैं तुम्हारी उम्र बीत जाएगी...चलो छोड़ो ये तो बताओ जिसके हो अभी उसको तो चाहते हो क्या.. -
तुम सभी को ये ही बतलाते हो क्या...तुमसे ही है सच्चा प्यार ये कहानी सबको सुनाते हो क्या...मुझे लिखने मैं तुम्हारी उम्र बीत जाएगी...चलो छोड़ो ये तो बताओ जिसके हो अभी उसको तो चाहते हो क्या..
वो शाम की तरह मुझसे मिलने आती हैं... ढले जो शाम वो फिर चली जाती हैं... उसके रातों के तलबगार कोई और हैं... उसके दिनों के जानकर कोई और हैं... -
वो शाम की तरह मुझसे मिलने आती हैं... ढले जो शाम वो फिर चली जाती हैं... उसके रातों के तलबगार कोई और हैं... उसके दिनों के जानकर कोई और हैं...
ईन आँखों को सुकून मिलता ही नहीं अब...जख्म कोई अंदरुनी फिर हरा हुआ हैं... -
ईन आँखों को सुकून मिलता ही नहीं अब...जख्म कोई अंदरुनी फिर हरा हुआ हैं...
सांसे सीमट रहीं हैं अब मेरी भी...ना जाने कब मेरा वज़ूद दम तोड़ दे... -
सांसे सीमट रहीं हैं अब मेरी भी...ना जाने कब मेरा वज़ूद दम तोड़ दे...