21 MAR 2018 AT 20:18

गुज़रता हूं जब किसी मन्दिर या मस्जिद से तो दुआ कर लेता हूं तेरे नाम की...
जब सोचता हूं तुम्हारे बारे में तो माथे पे शिकंज सी आ जाती है, जैसे कोई रोशनी हो शाम की...
दिल तो उसी वक़्त टूट गया था जब तेरे हाथों में लकीर ना थी मेरे नाम की...
ज़िंदगी अपने सिरे से आगे बढ़ चुकी हैं बस ठहरी हुई हैं यादें तेरे और मेरे प्यार की...

- Vikas Meena