17 APR 2018 AT 18:30

कई कुचले होंगे कलम की नोंक के नीचे,नक्शे पर सरहद का रंग यूँ ही लाल नही है

कईयो की अस्मत लूटी,कई जिंदा जले
इतिहास के पन्नो में यूं ही ये सवाल नही है

किसी की चाल कहूँ,या राजनीति खेल गया कोई
एक माँ के लिए 2 बेटो का,यू ही बवाल नही है

लाशें यहां भी गिरी थी,जिंदा वहां भी जले थे
गलतफहमी न पालें कोई,की वहाँ बुरा हाल नही है

- © विजेंद्र "गायत्री"धनकर 🖋