Vijendra Dhankar   (© विजेंद्र "गायत्री"धनकर 🖋)
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Life is too short ,dont waste it to give philosophies..just live it
Joined 3 July 2017


Life is too short ,dont waste it to give philosophies..just live it
Joined 3 July 2017
28 DEC 2021 AT 21:32

इन तीनो से बेहतर,कोई कुछ और बताय
इक वो,इक बारिश और इक प्याली चाय..♥️

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8 DEC 2021 AT 21:06

चलते सीना तान के,गर्व से सम्मान से
ज़ुबाँ पे एक तीर रहे,मिलो तो थोड़ा ध्यान से

मिट्टी से छनकर आये,हम फौजी बनकर आये
जीते है चट्टान से,मरेंगे तो स्वाभिमान से

एक सिपाही खोया है,एक शहीद तो पाया है
कई रावत अभी निकलेंगे,मेरे हिंदुस्तान से
कई रावत अभी निकलेंगे,मेरे हिंदुस्तान से...💔

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19 SEP 2021 AT 0:54

तेरे लिए बयाँ करने को लफ्ज़ भले चंद है
तू है किसी ग़ज़ल सी,जो बस मुझे पसंद है..♥️

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4 SEP 2021 AT 10:44

देखा जाए तो माँ में मा के ऊपर चाँद है
पर हमारे लिए तो चाँद से ऊपर माँ है...

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20 FEB 2021 AT 19:42

लोकतंत्र नहीं चाहिए
इतना कहने के लिए भी लोकतंत्र चाहिए

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12 FEB 2021 AT 19:20

अंधो ने भविष्यवाणी की,गूंगे प्रवक्ता बनाए गए
जिस जिस के ज़हन में सवाल आया..
साहब ज़िंदा जलाए गए

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9 FEB 2021 AT 22:55

जैसे जैसे वक्त गुजरता जा रहा है,
इक ज़हर मेरे भीतर ठहरता जा रहा है

मै जितना बचाने की कोशिश करूं
मेरे अंदर का इंसा क्यूं मरता जा रहा है

लगे जैसे तन्हाई की खाई में
मेरी यादों का बस्ता गिरता जा रहा है

धूप को रोके बादल संग मिलकर
इक अंधेरा इस ओर चलता आ रहा है

दरिया से बूंदे जो सूरज ने ली थी
वो बादल सा बनकर,बरसता जा रहा है

शाखों का दर्द इक दर्द होता है
उसके सामने कोई पत्ता सड़ता जा रहा है

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8 FEB 2021 AT 12:18

मेरे शहर में ये घटना अब आम है
रोशनी के नीचे होते,अंधेरे वाले काम है

अग्नि कुंड में जानकी,मंदिरो में श्री राम है
सूर्य भी थक जाता है,फिर किसको आराम है

दिन गरीबों का बना,अमीरों की तो शाम है
मै भी उनमें से एक हूं,हिंदोस्ता मेरा नाम है....

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9 JAN 2021 AT 10:41

एक ओस की बूंद,करती है संघर्ष,
पत्तों पर रहने के लिए

इक वाष्प का संघर्ष,
बादल बने रहने का

एक सर्प का संघर्ष,
बाज़ के पंजों से बचने के लिए

उस सूरज की किरण का संघर्ष,
सागर तल में जाने का

वो इच्छा,वो प्रयास,
वो जुनून वो आस

पतझड़ में पत्ते का संघर्ष,
अपनी शाख़ से जुड़े रहने का

वहीं संघर्ष चाहिए,
मुझमें,तुम में सब मेंकुछ कर गुजरने का........

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29 DEC 2020 AT 23:45

ये तुम हो या मै हूं इस बात में क्या रक्खा है,
फासलों ने ही हमें,तुम्हारा बना रक्खा है।।

जो पास आओगे तो उड़ जाएगा सारा जादू इश्क का,
दूर हो तब इश्क ने खुद को जवां रक्खा है।।

कलम चलती है हमारी तो हवाएं भी पूछती है वजह
हमने इश्क में,ये रुतबा कमा रक्खा है।।

किस धागे से जुड़े हो तुम हमसे क्या पता
हमने तो हर धागा नसों से लगा रक्खा है।।

अब मनाते नहीं हो तरस खाते हो तुम भी
हमने भी रूठने से फासला बना रक्खा है।।

हा खबर है हमें ये वक्त की जरूरत है
हमने बहुत पहले खुद को पाठ पढ़ा रक्खा है।।

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