उभरे तो आज भी नहीं है उन ज़ख्मों से बस
उन ज़ख्मों को छुपाने के लिए खुद की ज़िन्दगी पर ध्यान दे रहे हैं ....-
सबने मेरे गुस्से से मुझे परखा
पर
किसी ने भी मेरे गुस्से के पीछे के मेरे आसुओं को नहीं समझा ..
-
उनके प्यार में इतने दीवाने हो गए थे की
उनकी झूटी बातें भी सच्ची लगती थी
और
अपनों की सच बातें भी हमें झूटी लगने लग गयी थी!!-
हम दिल को कितना भी समझा ले पर
वो हमेशा याद उसी को करता हैं जो उस्से दूर होता हैं !!!-
सबकी नज़रों के सामने होने के बाद भी सबकी नज़रों से ओझल हूँ में
इसलिए मैं अकेला हूँ में...-
हमारी जगह पर कभी खुद को रख कर देखना..
उस दिन हमारी ख़ामोशी का जवाब तुम्हें मिल जाएगा:-
तुम हमारे जैसे कभी नहीं बन पाओगे !!
क्योंकि
हम बिखरे हैं इसलिए खुद को समेटना जानते हैं
गिरे बहुत हैं इसलिए खुद को उठाना जानते हैं..
-
मतलब तो हैं सबको मुझसे,क्योंकि
सबको अपना मतलब जो पूरा करवाना हैं मुझसे :-
ख़ामोशी में भी बहुत कुछ कहने का मन करता हैं..
पर क्या करे सुनने वाला ही कोई नहीं रहता हैं :-