बैखोफ, बुलंद आवाज है माँ,
प्रेम-प्रसंग की राग है माँ,
उपवन की सुंदर पुष्प है माँ,
धूप में सुलगती बाष्प है माँ,
निर्झर नदियों की प्रवाह है माँ,
अद्भुत रचनाओं में वाह है माँ,
बंजर भूमि की शस्य है माँ,
उपजाऊ जमीन की कुश है माँ,
बेखौफ निडर अभिमान है माँ,
स्नेहरूपी मान है माँ,
बारिश सी शीतल है माँ ,
झरनों सी हलचल है माँ,
जीवन की जननी है माँ,
विश्व की कहानी है माँ,
संघर्ष पथ की क्षत्राणी है माँ,
त्याग के मूरत की परिभाषा है माँ,
मेहनत की वार्ता है माँ,
फिर ये दुनिया क्यों पूछे की कौन है माँ!?
नित्य प्रश्न की उत्तर है माँ?
कर ले स्वीकार इस सृष्टि का यथार्थ है माँ,
पुरी दुनियाँ की स्वार्थ है माँ |
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