Shubhanshu Chauhan   (Shubhanshu 2024©)
160 Followers · 94 Following

read more
Joined 10 July 2017


read more
Joined 10 July 2017
17 OCT 2020 AT 14:50

Make many friends. Help them. Be nice with them. Never make them pregnant. Never feel jealous if they also like other people. Never be possessive but always take care of them if they are doing some stupidity. Connect with them by mind, not by body. Body is not a part of love, it's part of lust. Lust is not love. Both are separate points. Respect them individually.

-


18 SEP 2020 AT 0:45

मैं सम्बंध मधुर होने पर भी तुमको
कभी-कभी अकेला छोड़ दिया करूँगा
और तुम मुझे एक दिन इसके लिए धन्यवाद दोगे।

-


14 SEP 2020 AT 16:54

अकेले हो जाने के अतार्किक डर को ऑटोफोबिया कहते हैं। ज्यादातर लोग इसका शिकार हैं और इसी चक्कर में कम ज़िंदगी जीते हैं। अक्सर इनको कोई दूसरा मार डालता है। ये अगले से चिपक कर उसे इतना तंग कर देते हैं कि वह इनको उड़ा ही देता है। इस फोबिया से बचने के लिए मानसिक चिकित्सक से इलाज करवाएं।

-


10 SEP 2020 AT 11:24

किण्वित (fermented) वनस्पति आधारित भोजन कीजिये। विटामिन B12 कभी नहीं लेना पड़ेगा ऊपर से। स्वाद भी बढ़ जाता है। स्वाद और सेहत दोनों का लाभ एक साथ। दाल, बीज, चावल पकाये या बिना पकाये सब किण्वित हो सकते हैं।

-


9 SEP 2020 AT 19:27

समाज के लिए विवाह पितृसत्ता और वंशवाद के लिए ज़रूरी है। जबकि कुदरत में ये दोनो ही बातें अनुपस्थित हैं। प्रकृति में मातृसत्ता है और कोई वंशवाद नहीं है। सब का DNA मिलाजुला है। वंशवाद ही अपने बच्चे को अपने कंट्रोल में रखने को बाध्य करता है क्योंकि परिजनों को अपने वंश के नाम को बनाये रखना होता है बजाय, बच्चे के खुद के सपनों को साकार करने के। विवाह सिर्फ धर्म की विषयवस्तु नहीं है अपितु, दहेज, जातिवाद, पितृसत्ता, कुरीतियां, गुलामी, जुल्म और परतंत्रता की भावी शुरुआत है।

-


3 SEP 2020 AT 22:02

सरकार टैक्स से चलती है। टैक्स ही है उसकी कमाई का जरिया। सरकार टैक्स से भरपूर कमाती है। जो भी व्यापारी है, वो सरकार को भारी टैक्स देता है, हर रोज़। उसी से देश आर्थिक रूप से मजबूत बनता है।

निजीकरण से व्यापार टैक्स की मात्रा बहुत बढ़ जाती है क्योंकि बिजनेस माइंड वाले लोग बेहतर तरीके से बिजनेस करके, भारी मुनाफा कमाते हैं और उसी अनुपात में भारी टैक्स सरकार को देते हैं।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये लोग प्रायः डिग्री धारी न होने व तेज़ IQ-EQ के कारण पूर्ण रूप से व्यापार पर निर्भर अनुभवी होते हैं और ग्राहक को देवता समान समझते हैं, इससे जनता इनको भरपूर प्रेम व मुनाफा देती है।

जबकि सरकार के वर्तमान व्यापार ढांचे में डिग्री धारी, भ्रष्टाचारी और बदतमीज, आलसी लोग भरे हैं। जो कि ग्राहक को चूतिया समझते हैं। इनके कारण सभी सरकारी व्यापार घाटे में चले गए। SBI, BSNL जैसे सरकारी कारोबार एकदम डूब गए थे। जिनके चलते BSNL सस्ता 4G इंटरनेट नहीं दे सका और SBI ने बदले की कार्यवाही के चलते भारी सुविधा शुल्क लगा दिया। इससे दोनों ही कारोबारों ने भारी मात्रा में अपने ग्राहक खोये और सरकार घाटे में चली गई।

जबकि अपनी अच्छी गुणवत्तापूर्ण सेवाओं व सुविधाओं के चलते निजी उद्योगों ने अरबों का कारोबार करके सरकार को टैक्स दिया। इसी टैक्स को बढाने और घाटे को फायदे में बदलने के लिए पूरे विश्व भर में निजीकरण किया जाता है।

-


28 AUG 2020 AT 15:16

सुनो मित्र, अच्छे काम छुप कर और बुरे काम सबके सामने करो। अपने आप सही और गलत समझ आ जाएगा। बुरे काम छुपाने से अच्छे और अच्छे काम दिखाने से बुरे बन जाते हैं।

-


25 AUG 2020 AT 4:55

सब कुछ छोड़ जाने के बाद।
छोड़ जाते हैं जो यादें,
वो जाकर भी कभी,
जाते ही नहीं।

-


25 AUG 2020 AT 4:47

बुरे इंसान को अकेला छोड़ दो, वह अच्छा बन जाता है। अच्छे इंसान को अकेला छोड़ दो, वह मजबूत और महान बन जाता है।

अकेलापन वरदान है, तपस्या है और यह कोई जादू नहीं है, विज्ञान है। अगर आप अकेले होने पर घबराते हो तो आप बहुत कमजोर और दूसरों पर निर्भर एक असुरक्षित महसूस करने वाले व्यक्ति हैं। जिसका कभी भी कोई दूसरा इंसान फायदा उठा कर उसे बर्बाद कर सकता है। किसी के साथ रहने पर ये खतरा तो 100% बना ही रहेगा।

हाँ, अगर कोई अकेले रहने वाला महान इंसान आपका दोस्त है तो आप मजे में हो। बस वह आपसे कम मिला करेगा। लेकिन जब भी मिलेगा, आपको फायदा ही करवाएगा। ~ Dharmamukt Shubhanshu 2020©

-


20 AUG 2020 AT 14:59

तुम क्या हो?
तुम क्या बनने वाले हो?
तुम क्या बनने आए थे?
तुम क्या बन गए हो?

तुम तब तक कुछ नया नहीं बन सकते, जब तक तुम ये न स्वीकार कर लो कि अभी तुम क्या हो। बुरे हो तो भी और अच्छे हो तो भी। स्वीकार करने में ही ईमानदारी और सत्यता है और सत्य ही तुम्हारे सभी सुखों का जन्मदाता है।

हर तरह के लोगों में एडजस्ट होना ज़रूरी नहीं है। ऐसा आवश्यकता पड़ने पर कर सकते हैं लेकिन जब आवश्यकता नहीं है तो केवल अटेंशन पाने हेतु ऐसा मत करो। अन्यथा तुम भले ही कुछ लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लो लेकिन तुम खुद को खो दोगे।

उनके लिए जो कभी के खुद को खो चुके...सदा के लिए!

-


Fetching Shubhanshu Chauhan Quotes