Sukoon Verma   (Sukoon Verma)
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Joined 10 April 2018


Joined 10 April 2018
20 FEB 2021 AT 9:18

बडा हस्ता खेलता रहता था,
अब शांत शांत सा रहता है
लगता है टूट गया है,बिखर गया है
अब शायद दुबारा समेट नहीं पाएगा खुद को वो
क्योंकि तुम्हे खोजता-खोजता खुद खो गया है वो..
अब हिम्मत नहीं है दिल लगाने की..
अब हिम्मत नहीं है किसी को मनाने की..
अब हिम्मत नहीं है किसी से नजर मिलाने की..
अब हिम्मत नहीं है फिर मोहब्बत राह पर जाने की..
तुमसे मोहब्बत करनी सीखी थी,
अब नफरत भी सीखी है..
अब बस शांत रहना है मुझे
बस याद करना है तुम्हे
बस लिखना है तुम्हे
नहीं जताना किसी को अब किस्से कितनी मोहब्बत है
नहीं जताना किसी को अब किस्से कितनी नाराजगी है
अब बस शांत शांत सा रहना है..
अब बस शांत शांत सा रहना है..
तुमसे दूर पर तुम्हरे लिए रहना है
तुमसे दूर पर तुम्हारे पास रहना है....




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15 FEB 2021 AT 21:06

काश हम भी किसी के लिए खास होते
मनाता कोई हमें जब हम उदास होते..!!

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15 FEB 2021 AT 8:25

ग़म ये है के मैंने तुम्हें वर्षों से देखा नहीं, सुकून ये है के इन वर्षों में प्रेम से लेकर प्यास तक सब गाढ़े रंग में मिल गए। अब वर्षों बाद मिलेंगे तो क्या दुनिया ये नज़ारा देखेगी?



चंद्रमा जब पूरा गोल होता है तो मुझे वो ना जाने क्यों पृथ्वी की बाहों में सिमटा हुआ नजर आता है! हो सकता है के मेरी नज़रों का दोष हो और ग़र ये नज़रो का दोष है तो कसम खुदा कि दुनिया की नज़रों में दोष आ जाए।


प्रेम का रंग गाढ़ा होने के लिए अलगाव का होना जरूरी है और प्रेम का सम्पूर्णता में मिल जाने के लिए नज़दीकियों का होना अनिवार्य है जैसे कि चंद्रमा का गोल होना और पृथ्वी की बाहों में सिमट जाना।



वर्षोँ बाद मिलेंगे तो एक-दूसरे के चेहरों की झुर्रियों को गिनेगें जो वक्त से पहले दस्तक दे गए हमारे चेहरों पर। फिर तुम्हारे वो अनगिनत सवाल जिनके जवाब मेरी आँखो पर तो होते है पर होंठों से निकलते नही कभी।

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15 FEB 2021 AT 8:12


तुम्हे देख कर तुम्हे देखते रह गए
तुमसे जाकर जो राहे मिली,तुम्हारे हो कर रह गए।
चैन जो शायद कहीं नहीं था,मिला तुमसे मिल कर हमें
जीने का सलीका मिला तुमसे मिल कर हमे,
हसंना सीखा,सीखा हसना मैने,मिली जो तुम तो सीखा इश्क मैने
कितनी जरूरी हो तुम मेरे लिए,शायद तुमको भी नहीं पता
क्या कर लूंगा इश्क जताकर भी मै,तुम्हे शायद खामोशी नहीं पता
कलम शायद तुम्हारी गुलाम है
जहा भी चलाऊ तुम्हे ही लिखती है
हर बात बात पर जिक्र तुम्हारा करती है
अजीब सा सितम है इसका भी हम पर,
लिखती तुम्हे है और नाम हमारा करती है
कभी शब्द जोडू तो कभी घटाऊ,
ऐसा क्या लिखूं जो हर बार तुझे ही पाऊ..!??

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9 FEB 2021 AT 8:16

कभी तो हमारी कदर होगी
कभी तो हम याद आएंगे,
बहुत दूर पाओगे हमे
जब हम जैसा ना कहीं पाओगे।।

उस दिन उस दिन बस खोजना मुझे
मै कही ना कहीं तो मिलूंगा,
तुम्हारी याद में खोया हुआ तुम्हारे
इंतज़ार में खड़ा हुआ।।

हिजर में पड़ा हुआ,टूटा हुआ तुम्हारे से
तुम हस्ती खेलती अपनी दुनिया में,
मेरी मोहब्बत का मज़ाक बनाया था तुमने, तुम्हें याद आयेगा, तुम्हें मेरा मनाना याद आयेगा ,तुम्हे मेरा हसाना
याद आयेगा तुम्हे मेरा गुस्सा भी,याद आयेगा मेरा तुम्हे चाहना भी।

समझोगी जब मुझे तो खोया हुआ पाओगी
कीमत कदर तब शायद कर पाओगी
लेकिन खोया हुआ पाओगी मुझे
अपनी याद में अपने ही जज्बात में
मै हमेशा लिखूंगा,तुम्हे हर तरफ
हर कागज पर,हर लफ्ज़ में

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8 FEB 2021 AT 16:23

समझने को इशारे तुम्हारे कम नहीं समझे
उलझने को नज़रे तुमसे कम नहीं उलझी
समझने को सब कुछ समझ गए सब
समझने को तुम हमारी मोहब्बत नहीं समझी..

यूं हकीकत से मै तो दूर नहीं
मोहब्बत में इतने मजबूर नहीं..
शिकवा क्या रखना उनसे
मोहब्बत में शिकवा की जगह ही नहीं..

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14 MAR 2019 AT 15:29

आज से हमने लिखना छोड़ दिया❤️

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13 MAR 2019 AT 20:16

रिश्ते बहुत है ज़िन्दगी में,
कोई निभाने वाला तो हो!!

आता है मुझे मनाना,
कोई रूठने वाली तो हो!!

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8 MAR 2019 AT 12:25

Plzz Follow me On Instagram

"Sukoon Verma"

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8 MAR 2019 AT 12:14

जीने का ज़िन्दगी,तरीका बदल लिया है हमने!!
हर किसी पर करना भरोसा, छोड़ दिया है हमने!!

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