Varsha Gujrati(Dalal)   (क़लम-ए-मोहब्बत ..✍️✍️)
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Joined 18 December 2018


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2 MAR AT 10:41

तुम ही मेरा ब्रह्मांड हो .....
( Read in caption )

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6 DEC 2023 AT 12:39

मेरे अमर प्रेम में ,
मैं का मतलब....
केवल मैं और तुम हो ,
और जहां मैं और ....
तुम नहीं हो ,
वो सांसों का ....
कोई मोल ही नहीं ,
क्योंकि मैंने तो ....
जीना ही नहीं सीखा ,
तुम्हारे बिना !!!!

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13 OCT 2023 AT 10:21

मेरी लाश पर एतबार का कफ़न चढ़ा जाना ,
हुं केवल तुम्हारी रुह को मेरी सुकुन दे जाना ....

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4 AUG 2023 AT 17:14

ये स्त्रियां ,
सदैव ही ....
मन की कठोर ,
तन की निर्मल ...
रही हैं ....

और ....
ये ही स्त्रियां ,
मन की निर्मल ,
तन की कठोर ....
भी रही हैं .....

जाने क्यों ये ,
स्त्रियां सदैव ही ....
समाज के लिए ,
और खुद के लिए ...
पहेली ही रही हैं !

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21 JUL 2023 AT 11:15

बहुत दिन बाद लौटी हूं 😊 पर एक सवाल के साथ ..... आधुनिक होने का अभिप्राय ( मतलब ) क्या है ?
हमें अपनी सोच से आधुनिक होना चाहिए या अपने पहनावे से आधुनिक होना चाहिए ?

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20 MAY 2023 AT 10:17

ये तुम्हारा और मेरा प्रेम ,
इस संसार के सभी ....
नियम से परे होता जा रहा है
जहां जीवित रहने के लिए मुझे
तुम्हारी जरुरत है ,
जहां ये सांसे कम या ज्यादा
एक दुसरे के साथ ....
होने पर निर्भर करती है,
जहां कभी हम दो नही गिने जाते
जहां आईने में खड़े होकर मैं ,
सिर्फ तुम्हे देख पाती हूं .....
जहां ये ऋतुएं ,
सिर्फ और सिर्फ बदल जाती है ....
तुम्हारी आंखों में देखने से !!

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6 MAY 2023 AT 10:12

तुम्हारे और मेरे प्रेम के बीच ,
ये प्रेम के कौन से अध्याए जुड़ रहे हैं ....
जहां हम त्याग चुके हैं ,
अपने अहम को ....
जहां लड़ाई के बाद भी ,
एक दुसरे को मनाने का ....
कोई गुणा-भाग नहीं ,
प्रेम में कोई जोड़-घटाव नही ....
स्थिरता से खड़ा है वो ,
हम दोनों के बीच ....
जहां कोई सुत्र लागु नहीं होता ,
केवल एक के ....
पुर्ण समर्पणता के ,
और इस सुत्र को क्या ....
नाम देंगे हम दोनों ,
ये हम दोनों भी नहीं जानते ....

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24 APR 2023 AT 10:32

जीवित व्यक्ति ,
जब भी अवलोकन करता है ....
सदैव दुसरो का ही ,
हिसाब रख पाता है .....
मृत्यु शैय्या पर ,
लेटा व्यक्ति ... तब सिर्फ खुद का ,
अवलोकन कर पाता है ....
उसके कर्म के लेखें
खुद ब खुद नज़रों में ,
सामने आने लगते हैं .....
उस वक्त वो ,
वो आईना बन गया होता है ....
जहां देख पाता है ,
समझ पाता है ,
केवल खुद को .....

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15 APR 2023 AT 10:48

तुम्हारे प्रेम का ,
वो गहराता हुआ....
काजल सजाकर ,
रखती हूं आंखों में ,
जहां मात्र मेरी आंखों से ....
पता चल जाता है ,
मैं केवल तुम्हारी हूं ....
जुड़ी हूं तुमसे इस कदर
जहां अगर अश्रु भी बहे
तो केवल तुम्हारे नाम से
इन अधरो पर ,
हंसी की कली सजे ....
तो केवल तुम्हारे नाम से ,
मेरा मुझमें कुछ रहे ना बाकी
मेरी सांस चले तो ,
तुम्हारे नाम से .....

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16 MAR 2023 AT 11:47

तुमसे मिलने के बाद ,
सदा मैंने प्रेम ही लिखा है ....
क्योंकि पहचाना है मैंने ,
प्रेम के मूल मंत्र को ....
जहां विसर्जित करना पड़ता है ,
अपने अहम को ....
जहां पाया जाता है फिर ,
मैं को छोड़कर हम को ....
जहां वचनबद्ध की मौली को ,
बांधकर ....
स्थापित किया जाता है,
प्रेम के पवित्र कलश को .....

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