16 DEC 2017 AT 15:29

कैद है यहाँ कईयों के अरमां
दुनिया के डर से जो तालों में बंद है..
लाखो तो सुरज निकलते ही ढल गये
तेरे तो सपने भी समंदरसे गहरे है..
खुद तु ईनकलाब की बात ना कर
ये लोग तो एक ही रंग से मैले है..
दुनिया है दोस्त ये महफिल नही
ईन्हें तो तेरी गज़लों से भी ऐतराज़ है...

- ©chi_koo