22 SEP 2017 AT 1:48

"कुछ थक सी गयी हूँ।
यूँ खुद से भागते हुए।
आज तेरे पास बैठकर कुछ
बातें करना चाहती हूं।

मैं आँसुओ से सीले पन्ने
अपनी ज़िंदगी के।
आज तेरे हवाले
करना चाहती हूँ।"

(क्रमशः)

–वैदेही





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