Vaibhav Saluja   (“अन्ज़ान” Vaibhav)
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Joined 15 May 2018


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Joined 15 May 2018
10 FEB AT 19:34

वो जिनको देखे भर से बहक जायें हम
ख़ुद क़ो महज़ उनके लिये सँभाले रखा है

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3 FEB AT 11:51

पिछली फ़रवरी मैंने इज़हार ए इश्क़ किया
मोहतरमा अग़ली की तारीख़ दे बरी हो गईं

अब देख़-देख़ कमबख़्त क़लेज़ा जलता है
उसके इंतज़ार में कई फसलें हरीभरी हो गईं

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23 AUG 2023 AT 19:25

दुनिया वालों ने रह-रह क़े लाख़ उसे निहारा होगा
फिर भी था यक़ीं क़े चाँद इक रोज़ तो हमारा होगा

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23 AUG 2023 AT 19:23

दुनिया वालों ने रह-रह क़े लाख़ उसे निहारा होगा
मग़र था यक़ीं वो चाँद इक रोज़ तो हमारा होगा

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24 JUN 2023 AT 21:05

जिनके चलते बदनाम ज़माने में रहे
वो लोग उम्रभर हमे आज़माने में रहे

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26 MAY 2023 AT 7:52

रिश्ता कुछ ख़ास तो नहीं था दरमियाँ हमारे मग़र
मेरी धड़कनों को उनकी ज़रा आदत हो चली थी

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29 APR 2023 AT 9:13

मुश्क़िलों भरा गुज़रा कारवाँ ज़िंदगी का
बस दुआयें थीं जो हर मोड़ पर सहारा बनीं

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22 APR 2023 AT 22:04

बदन संगमरमरी सा तराशा
नज़रें बख़्शीं बड़ी और तीख़ीं
इतनी महीन नक़्क़ाशी ऐ ख़ुदा
तू ये बता तूने कहाँ से सीखीं

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18 MAR 2023 AT 22:35

ना ज़ाने क़ितने आशिक़ इनमें डूबे दिखतें हैं
ये महज़ नज़रें हैं या सैलाब लिये समुंदर कोई

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8 MAR 2023 AT 12:25

इस होली की तरह मेरे
महबूब का उम्रभर यूँ हाल रहे
उसकी ज़िन्दगी हरी,
गाल ग़ुलाबी और होंठ लाल रहे

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