ना देखा जाए वर्दी के पीछे मजहब, ना उस बंधती रखी कि कलाई की पहचान होनी चाहिए, जहां मंदिरों में पढ़ी जाए क़ुरान और मस्जिदों में गीता का पाठ हो, हां कुछ ऐसा आज़ाद मेरा हिंदोस्तां होना चाहिए।।
मां के आंचल में जो बचपना बिताते है, जवानी के दौर में अपनी प्रियतमा की गोद में पाए जाते है, खाते है जब धोखा तो जनाब शायर बन जाते है, आती है याद उसकी तो खुदको मां कि गोद में पाते हैं।।