Upadhyay Krishna   (Upadhyay Krishna)
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हिंदी हैं हम वतन है हिंदोस्तां हमारा...
Joined 23 May 2017


हिंदी हैं हम वतन है हिंदोस्तां हमारा...
Joined 23 May 2017
28 OCT 2021 AT 23:41

मुझे जीने के लिए तेरा एहसास चाहिए
हर शाम इक छोटी सी मुलाकात चाहिए,

दे दूंगा तुम्हें दिल का हर इक हिस्सा
बस बदले में तेरा ताउम्र साथ चाहिए...
❣️

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8 OCT 2021 AT 21:44

एक इश्क उम्र भर निभाया नहीं गया
छोड़ रहा था साथ मुझसे मनाया नहीं गया,

एक बार उसे हमने जी भर कर जो देखा
फिर कोई और निगाहों में बसाया नहीं गया,

पलकें उसके ख्वाब जो सजाने लगे,
फिर दिल में किसी और को बसाया नहीं गया,

बेरंग है जिंदगी आज भी उसके बगैर,
फिर महफिलों को हमसे सजाया नहीं गया

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6 OCT 2021 AT 23:14

जो कह ना सके, वो आज लिख दूं,
या दिल में जो है, वो राज लिख दूं

टूटे हुए सपनों का, आगाज लिख दूं
या अधूरे ख्वाबों का, अंजाम लिख दूं

जो साथ रहे, उनका नाम लिख दूं
या जो छोड़ गये, उनके खिलाफ लिख दूं

जो दर्द दिया, उसे बेहिसाब लिख दूं
या जो छुपा लिया, उसे बोझिल ख्वाब लिख दूं

हकीकत ऐसे कहूँ, कि दिल के पार लिख दूं
कहो तो दो पक्तियों में, मैं जीवन का सार लिख दूं

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2 OCT 2021 AT 23:08

तो वापस आये ही क्यों
जो वापस आये तो ठीक
लेकिन मेरा इश्क जगाए क्यों
मैं तो जी रहा था सुकून से
मेरे सुकून में उलफत की आग लगाये क्यों

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30 SEP 2021 AT 22:07

बहुत कुछ खो चुके हैं
अब और खोना नहीं चाहते,

बहुत रो लिए तेरी यादों में
अब और रोना नहीं चाहते,

दे चुके हैं अपनी वफा़ का इम्तिहान
अब और वफा़ का इम्तिहान देना नहीं चाहते

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30 SEP 2021 AT 21:54

अक्टूबर इंतजार में गुजार देंगे,
नवंबर में जो ना मिली तू
दिसम्बर में तुझे भुला देंगे...

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29 SEP 2021 AT 9:34

उसने जीवन बना लिया

जिसने मन को मना लिया
उसने लक्ष्यों को साध लिया

जिसने मन को मना लिया
उसने हर मंजिल को पा लिया

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26 SEP 2021 AT 22:48

लकीरें बहुत हैं हाथों में,
पर काम की कोई नहीं...

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25 SEP 2021 AT 23:31

किसी और का था
मैं अपना समझ बैठा
पर था वो मेरा वहम
जिसे मैं अपना समझ बैठा

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24 SEP 2021 AT 22:46

सितम किस बात का
इश्क खुद में एक सजा है
तो इश्क पर यकीं किस बात का

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