Ujjwal Mehta   (Ujjwal Mehta)
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आपका हमारा रिश्ता तो वर्षों से है
एक ही दुनिया से जो ठहरे
Joined 14 April 2017


आपका हमारा रिश्ता तो वर्षों से है
एक ही दुनिया से जो ठहरे
Joined 14 April 2017
6 JUL 2023 AT 0:39

ज़रा बैठे हैं उनकी यादों की याद में...
और ये तन्हाई की रात, और लंबी होती जा रही

ज़रा गुम हैं उनकी बातों की बात में...
और ये तन्हाई की रात, और तन्हा करती जा रही

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3 JUL 2023 AT 0:38

सारा शहर धुल गया इस बारिश में
लगता है सावन आने को है
आँखें भीग गई इस घर में
लगता है कोई अपना जाने को है

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30 JUN 2023 AT 1:28

तुम बस हाथ थामे रहना सफ़र तक
चलते–चलते यूंही कोई थम जाएगा एक दिन
फिर ना कोई ज़िंदगी होगी, ना कोई सुहाना सफ़र

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20 JAN 2023 AT 17:50

कभी रो दिया करते थे एक खिलौने के लिए
आज तन्हाई में भी मुस्कुरा दिया करते हैं

कभी हँसते–खेलते जाम पे जाम पी लिया करते थे
आज मुस्कुराकर सारे ग़म पी लिया करते हैं

कभी अपनों के साथ शाम गुजर जाया करती थी
आज वक्त गुजर गया, हम ठहर से गए हैं

और तो और...
यकीं होता नहीं
झूठी सी एक दिन अपनी ज़िंदगी हो जाएगी

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15 AUG 2022 AT 11:43

ये तिरंगा है इस वतन का
वतन के हम हैं

ये महज कपड़ा नहीं, कफन है जवान का
खून से सींचा जिसने सारा हिंदुस्तान है.....

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2 AUG 2022 AT 2:08

हमें उस पल का बेसब्री से इंतज़ार है....

उसे तो हमारी चाहत का अंदाजा तक नहीं 🙃

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8 MAR 2022 AT 11:16

सहनशीलता की मूरत हो, अपनों की जान हो
फिर हर मोड़ पर अलग-अलग किरदार क्यों निभाती हो?

सुनो, तुम्हारी मुस्कान ही तुम्हारी पहचान है🙂
फिर इस मुस्कान के पीछे, खुद के सपने क्यों छुपाती हो?

तुम्हारे वजूद के बिना ये धरती, धरती नहीं बंजर ज़मीं है
तुम नारी हो, तुम्हें किस चीज़ की कमी है....?

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15 FEB 2022 AT 15:24

बात इतनी सी थी
के बातों ही बातों में,
कुछ बात हो गई

फिर क्या....
अब बात नहीं होती 🙂

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20 DEC 2021 AT 9:14

दुआ माँगते-माँगते सब्र करना सीख लिया
सब्र करते-करते ज़िंदगी जीना सीख लिया

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20 DEC 2021 AT 0:02

वो अमीर, रोटी फेंककर अपनी रईसी झाड़ रहे थे...
हम गरीब, बस दो वक़्त की रोटी बिना मर रहे थे....

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