13 JUN 2018 AT 10:31

ये फ़जर आज ढली शाम सी क्यूँ है
हर कोशिश लगती नाकाम सी क्यूँ है

गर जब हो जाते हर-सू ख़्वाब जो मेरे पूरे
फिर लगती ये ज़िन्दगी फ़क़त इत्मिनान की ही क्यूँ है!!

- tulikasm