ये फ़जर आज ढली शाम सी क्यूँ हैहर कोशिश लगती नाकाम सी क्यूँ हैगर जब हो जाते हर-सू ख़्वाब जो मेरे पूरेफिर लगती ये ज़िन्दगी फ़क़त इत्मिनान की ही क्यूँ है!! - tulikasm
ये फ़जर आज ढली शाम सी क्यूँ हैहर कोशिश लगती नाकाम सी क्यूँ हैगर जब हो जाते हर-सू ख़्वाब जो मेरे पूरेफिर लगती ये ज़िन्दगी फ़क़त इत्मिनान की ही क्यूँ है!!
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