सुनो!
तुम जो लौट कर आए हो
यकीन जानो
दिल मेरा बेहद ख़ुश है
मेरी आँखें महक उट्ठी हैं
मेरी बातें चहक उट्ठी हैं
यूँ तो मैं वाक़िफ़ हूँ
तुम्हारी ख़ामोश तबियत से
तुम्हारे हम्म, हाँ, ना, शायद से
तुम्हारे सुन कर भी ना सुन ने से
पयाम पढ़ कर भी मोड़ कर रखने से
तुम्हारे हर तौर चुप रहने से
मगर कभी कभी जी चाहता है कि
तुम कुछ तो बात करो
बहुत ना सही मगर
तुम कुछ तो कहो...
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