मैं मोहब्बत जब भी लिखता हूँ,
मेरे लफ़्ज़ों को तुम्हारा नाम अच्छा लगता हैं,,
कागज़ कोरे जब भी लेकर लिखता हूँ,
तस्वीर तेरी कागज़ पर दिखना अच्छा लगता हैं,,
लबों से जब भी मेरे गुम होती हैं मुस्कान,
फिर तेरा नाम लेकर मुस्काना अच्छा लगता हैं,,
उदासी जब भी आकर लगती हैं गले मेरे,
तेरी डाँट के डर से इसे दूर करना अच्छा लगता हैं,,
रातों को जब नींद नही भरती मुझे आघोष में,
फिर तेरी तस्वीर देख सुकून की नीदं सोना अच्छा लगता हैं,,
मोहब्बत के पल क्या होते हैं मुझे नही पता,
लेकिन तुम्हारा दूर होकर भी करीब होना अच्छा लगता हैं!!
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