Mayassar   (मयस्सर)
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Joined 23 August 2017


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15 MAR AT 1:26

है रोशन करती इस फ़िज़ा को, ये कुदरत एक शम'-साज़ हैं
कमाल की नक्काशी है बहार में, ये वसन्त कोई रंग साज़ हैं

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22 JAN AT 18:54

औरत
नासमझ के लिए जिस्म
अकलमंद के लिए रूह

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21 JAN AT 3:58

कोई एक शख़्स तो यूं मिलें
कि वो मिलें तो सुकून मिलें

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21 JAN AT 1:32

मेरे इश्क़ को मेरे खुदा ने कुछ यूं अजब अजूबा कर दिया
मेरे सबसे प्यारे इंसान को मेरा सबसे बुरा तजुर्बा कर दिया

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20 JAN AT 0:20

फूल है, किताब है, मुजून सा है
इस जगह में हाय! सुकून सा है

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19 JAN AT 19:10

जिस से कभी इश्क़ था अब उस से वो निस्बत नही है
ना तो पहले सा दिल है, अब पहले सी तबियत नही है

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17 JAN AT 20:14

अक्सर खामोशी से दिए गए जवाब काफ़ी देर तक गूंजा करते हैं।

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17 JAN AT 10:19

लम्बी यात्राएं हमसे अक्सर उन लोगों को छीन लेती हैं जिन्हें हम छोड़ना नहीं चाहते ।

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17 JAN AT 9:48

तू लाख अपना कहें मुझे, पर तू कौन है मेरा
तेरी सौ बातों पर भारी एक अकेला मौन है मेरा

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16 JAN AT 11:09

मुझे खौफ है कि इक रोज़ मैं भी तुझको भूल जाऊंगा।

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