उसकी ख्वाहिश थी बहुत आगे जाने की.. एक जिद थी बस जैसे नाम कमाने की... वो आगे बढ़ा बहुत आगे... एक नई बुलंदी पर छू लिया था वो मुकाम चाह थी जिसे पाने की.. ख़्वाब मुकम्मल भी हो तो क्या होना उम्र एक बार ही मिलती है इसे जी लो, या खर्च कर दो मेरी कोशिश है बस आपको समझाने की...