तनु श्री   (तनु)
437 Followers · 329 Following

Joined 18 February 2018


Joined 18 February 2018
26 MAY 2022 AT 12:29

मंटो साहब सुनो !

-


11 APR 2022 AT 16:25

शांत लेटी थी मैं
कोई तलवे से उठा
पीठ में चीड़-फाड़ करते हुए
कानों तक पहुंँच के फुसफुसाया -

- "सुना है!
एक खूबसूरत आवाज
यहांँ से टकरा के गुजरा था कभी "।

-"तुम्हें सब पता होता है ना
इसीलिए तो मैं तुम्हें
एक वैश्या के दलाल से बेहतर नहीं समझती" ।

फिर से शांत लेट गई मैं
कि आज फिर से मेरा प्रीतम
मेरी आंँखों में जागने आ गया ।

वो फिर से फुसफुसाया- मेरे लिए क्या आज्ञा है ?
मैंने कहा - जा नींद को बहला के ले आ !

-तनुश्री

-


10 APR 2022 AT 20:17

आसान तो कितना है प्रेम करना
तुम बस जाते हुए को रोकना मत ।

-


28 MAR 2022 AT 18:51

दुनिया के आखिरी समय तक चलेगा ये युद्ध
इस युद्ध में कोशिश की जायेगी
बस आपने आप को बचाने की
अपने आप से ...

आज मैं इतना ही बिखरा हुआ हूंँ
जितना की सिमटा हुआ .....

-


21 MAR 2022 AT 16:45

शाम होते ही लौट जाती है
भटकती चिड़िया घर को ।

रूठे शब्द लौट आते हैं
कवि के कलम के नीचे ।

अंत से पहले स्त्री लौटती है
अपने अंतर्मन में ।

चिड़िया , शब्द और स्त्री
इनका अपना कोई आशय नहीं होता है ।

पर जब
एक चिड़िया ठहरती है
तो नया घर बन के तैयार होता है ।

शब्द ठहरे तो
कविताएं जन्म लेती हैं
और स्त्री ठहरे तो प्रेम ...।

-


23 FEB 2022 AT 13:29

पतझड़ के दिनों में
पेड़ सोचता है
बसंत के बारे में
और पेड़ से अलग हुई पत्तियांँ
सोचती हैं
'पेड़ के बारे में '

हर किसी का अधिकार होना चाहिए
आने वाले बसंत पर
सूखी पत्तियों को भी सोचना चाहिए
'पेड़ होने के बारे में' ।

-


19 FEB 2022 AT 9:47

इस तरफ
मेरी हथेली में तुम्हारा जीवन है ।


उस तरफ
तुम मेरी लाश लिए खड़े हो।

कितना मुश्किल है
इस रिश्ते को थाहना
हम दोनों की
दो अलग अलग दुनिया है ।

-


13 NOV 2021 AT 20:35

कितनी भी
कोशिश कर लो
अंदर चल रही कविता को
कभी नहीं लिख पाओगे ।


-


11 NOV 2021 AT 17:58

जैसे आकाश के
सूरज - चांँद - तारे
हमारे साथ चलते हैं

जैसे साथ चलती हैं
इमारत के संग सीढ़ियांँ

वैसे ही
साथ चलता है
प्रेम ....

तुम कहते हो
तुम हमेशा प्रेम से पीछे रहे ,
अरे ! अपनी आंँखें खोलो
तुम नींद में चल रहे हो ।

~ तनुश्री

-


11 NOV 2021 AT 17:51

जैसे आकाश के
सूरज - चांँद - तारे
हमारे साथ चलते हैं

जैसे साथ चलती हैं
इमारत और सीढ़ियांँ

वैसे ही
साथ चलता है
प्रेम ....

तुम कहते हो
तुम हमेशा प्रेम के पीछे रहे ,
अरे ! अपनी आंँखें खोलो
तुम नींद में चल रहे हो ।

~ तनुश्री

-


Fetching तनु श्री Quotes