शाम होते ही लौट जाती है
भटकती चिड़िया घर को ।
रूठे शब्द लौट आते हैं
कवि के कलम के नीचे ।
अंत से पहले स्त्री लौटती है
अपने अंतर्मन में ।
चिड़िया , शब्द और स्त्री
इनका अपना कोई आशय नहीं होता है ।
पर जब
एक चिड़िया ठहरती है
तो नया घर बन के तैयार होता है ।
शब्द ठहरे तो
कविताएं जन्म लेती हैं
और स्त्री ठहरे तो प्रेम ...।
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