वही माज़ी, उसी मंज़र पर अटका हूँ में फिर से उन्ही गलियों में भटका हूँ - Talib _
वही माज़ी, उसी मंज़र पर अटका हूँ में फिर से उन्ही गलियों में भटका हूँ
- Talib _